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अनजानी रात ७
करण बहुत परेशान था। राहुल के बारे में सोच-सोचकर। उसने उसे कांटेक्ट करने की बहुत कोशिश की लेकिन राहुल का फोन स्विच ऑफ था। उसे राहुल की बहुत फिक्र हो रही थी। लेकिन उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि राहुल है कहां? करण उसे बचाए कैसे? वो जल्दी से राहुल के घर की ओर भागता है। वो पाता है की राहुल घर से एयरपोर्ट के लिए निकल ही रहा होता है।

करण (चिंतित स्वर में) : राहुल! तुम्हारा फोन क्यों नहीं लग रहा है??
राहुल : अरे कुछ नहीं! बस फोन की बैटरी लो है।
करण : तेरी जान को खतरा है! कमल तुझे मारना चाहता है।
राहुल : ओह! मैं तो डर गया! देख अभी मज़ाक का वक्त नहीं है! मुझे जाना है अभी!
करण : में मजाक नहीं कर रहा हूं! कमल ने खुद मेरे सामने तुझे जान से मारने की सुपारी दी है किसी को!
राहुल : अच्छा मजाक था! चल अब जाने दे मुझे!
करण : अच्छा तो तुझे यकीन नहीं हो रहा न! तो ठीक है! मैं भी चलता हूं तेरे साथ!
राहुल (सोचकर) : ठीक है! नो प्रॉब्लम!

करण जल्दी से एक टिकट बुक करता है और दोनों श्रीनगर के लिए रवाना हो जाते हैं। करण पूरा दिन राहुल के साथ ही था लेकिन किसी ने भी राहुल को मारने की कोशिश नहीं की। यहां तक कि राहुल दो दिन और श्रीनगर में रहा और वहां से दिल्ली वापिस भी आ गया लेकिन तब भी उसे मारने की चाल किसीने नहीं चली गई। करण बहुत हैरान परेशान था। वो इस बारे में सोच ही रहा था कि उसे राज के अस्पताल में होने की खबर मिलती है। वो फ़ौरन अस्पताल जाता है।

करण : ये सब कैसे हुआ? किसने किया ये सब?
राज : सबकुछ करके पूछता है किसने किया! सब जानता है फिर भी कहता है कैसे हुआ!
करण : अरे मैने कुछ नहीं किया यार! कमल है इन सबके पीछे!
राज : अच्छा! करनी तेरी भरनी कमल की।
करण : तू क्यों नहीं कर रहा मेरा विश्वास! रुक मैं सब बताता हूँ तुझे! जैसे ही कारण कुछ कहने लगा राज बेहोश होगया । हर खुशी थी कि राहुल ठीक था, दुखी था क्योंकि उसका दोस्त राज घायल हो गया और वो आक्रोश भरा था क्योंकि इन सब की वजह कमल था!

क्या करण राज को सब बता पाएगा? क्या राज उसपर विश्वास करेगा? इन सब प्रश्नों के जवाब जानने के लिए प्रतीक्षा कीजिए अगले भाग की : अनजानी रात ८


© Utkarsh Ahuja