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देर रात तक मुझे किसे ने बताया कि एक ऐसी जगह है जहां तुम आसानी से रह सकती हो। मैं उस पते पर पहुंची जो मुझे बताया गया। वहां मुझे घर तो नही मिला लेकिन एक रूम जरूर दिया गया । वो एक ऐसी जगह थी जहां पर सभी रिश्ते तोड़ कर किसी और के साथ रहते थे। कहने का मतलब ये है कि वहां कोई घर से भाग कर आया है तो कोई अपनी बीवी को छोड़ कर आया या फिर कोई अपने पति से छुप छुप कर अपने प्रेमी से मिलने आता था । कोई एक दूसरे को नहीं बुलाता था सभी अपने काम में व्यस्त रहते थे। मुझे भी रूम आसानी से इसीलिए मिल गया क्योंकि मैं अकेली थी। इन सब बातों की फिक्र न करते हुए अपने मन को एक जगह टिकाना सही समझा। जितना सोचूंगी उतना ही दलदल में धंसते जाउंगी।
सारी रात मैने भूखे पेट ही बिताए । अगली सुबह तकरीबन 7:00 बजे मेरे कमरे का किसी ने दरवाज़ा खट–खटाया। दरवाज़ा खोला तो मकान मालिक मेरे सामने था । मैने उनसे कहा कि क्या आपको कोई काम है मैने तीन महीने का किराया तो रात में ही दे दिया था। तभी वो कहता है कि माफ़ करना बहन मैं इतनी सुबह आ गया । वो की्य है न कल रात में तुम यहां देर से आई और मैंने जल्दबाजी में तुमसे कोई बात भी नहीं की और चला गया। ये तुम्हारे लिए खाना लाया हुं मेरी पत्नी ने आपके लिए भेजा है ।
मैंने उससे हिचकिचाते हुए वो खाना ले लिया और कहा कि मुझे आपसे मुझे कुछ बात करनी है । तब वो मुझसे कहता है कि हां कहो क्या कहना है। उसे मैंने अंदर बुला लिया और बैठने कि लिए कहा । मैने कहा आपने मुझे बहन कहा है तो क्या आप मेरा एक छोटा सा काम करेंगे मुझे इस शहर कि बारे में कुछ नहीं पता और मेरे पास पैसे भी कम है क्या आप मेरी नौकरी ढूंढने में मदद करोगे तब वो कहता है कि मैं तो सारा दिन काम बिजी रहता हूं तुम मेरी पत्नी से पूछ लेना उसकी बहुत सारी सहेलियां है क्या पता वो तुम्हारी कुछ मदद कर दे ।
ये कह कर वो चला जाता है । उसकी कही बातों का मतलब मुझे समझ आ जाती है वो मुझे अपनी बीवी की सहेली कि यहां नौकर का काम करने लिए कहता है और उसने जो मुझे खाना दिया है वो प्यार से नही बल्कि तरस का के दिया है।
मैं खिड़की के पास बैठी उस खाने को देख रही थी और मन में सोच रही थी लोग आज कल कितना बदल गए हैं अगर ये खाना उन्होंने प्यार से भेजा होता तो मैं खा लेती लेकिन ये तरस का खाना मुझे नहीं खाना । ये सोच कर मैं खाना फेंक दीया। इसके बाद मैं खुद ही बाजार चली गई और वहां से कुछ राशन और स्टोव ले कर आई ।
जल्दी से मैंने खाना बनाया और बहुत जल्दी से खा भी लिया। खाना खाने केि तुरंत बाद ही मैं बिस्तर पर चली गई और शाम तक सोती रही ।
शाम को जब मैं उठी तो मेरा सारा काम वैसा का वैसा ही पड़ा है । शाम को मैंने सुबह के बर्तन धोए और सुबह का ही खाना शाम को खाया। थके होने की वजह से मैंने पूरा एक दिन सोने में बीता दिया । रात को मैं बैठी मोबाइल में कुछ अस्थाई नौकरी देख रही थी ।
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