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gangs of bhandarapur part 3
कई शादीयों के रंग में भंग डालने के बाद जावेद और मनु की गैंग ने कुछ दिन खामोश रहने की सोचा..
वहीं मुंबई से ट्रांसफर होकर आए नए थानेदार अथर्व गांधी के लिए यह एक बड़ा ही अजीब और चौंकाने वाला केस था!! अथर्व अभी नया नया ही पुलिस में ज्वाइन हुआ था....मुंबई में उस ने काफ़ी हद तक अपनी इमानदारी और नए जोश भरे कामों का परिचय दिया था ...उसी की वजह से उसका ट्रांसफर कुछ राजनीतिक दबाव में भंडारापूर जैसी जगह कर दिया गया था..
अपने अभी शुरू हुए कैरियर में उसने अच्छे-अच्छे मुंबई के भाइयों और गुंडों की बैंड बाजा दी थी पर अब वह एक अलग ही माहौल में था जहां उसके पास कम साधन और कम फोर्स में डाकू से निपटना था,
जो उस पहाड़ी क्षेत्र के जानकार थे पर इंस्पेक्टर अथर्व के लिए वह एरिया नया था...
उसने गांव के जानकार लोगों से मदद लेने की सोचा..
इसकी मदद करने के लिए सबसे पहले राजी हुई सूजी, जो अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी करके अभी-अभी गांव लौटी थी ...उसके मन में गांव वालों की सहायता करने का एक अलग ही जज्बा था ...
अथर्व गांधी को यह खाना चोरी का मामला थोड़ा अजीब लगा पर उसका फर्ज था कि चोर कैसा भी हो पकड़ना है तो उसने सूजी की मदद से गांव में जावेद की गैंग के बारे में पूछताछ शुरू कर दी
वहीं कुछ लोगों ने इंस्पेक्टर अथर्व की मदद करने से इंकार कर दिया उनका कहना था कि हमारे वहां भी अगले साल शादी है अगर हमने तुम्हारी मदद की तो वह लोग हमारी घर की शादी से भी खाना चुरा कर ले जाएंगे
गांव वालों का यह हाल देख अथर्व ने कोई और तरीका लगाने की सजा और सूजी से कहा हमें एक जाल बिछाना पड़ेगा झूठ मोड की शादी गांव के किसी अमीर के वहां और फिर इस अजीबोगरीब चोरी करने वाली गेम को पकड़ पाएंगे..

क्या अथर्व और सूजी की योजना सफल होगी..??
या जावेद और मनु की गैंग फिर से चकमा दे जाएगी..

जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले पार्ट का .
साथ बने रहिए
© y2j