कृष्ण ने द्रौपदी के पुकारने का इंतजार क्यों किया?
श्रीकृष्ण द्रौपदी के विना बुलाये भी जा सकते थे लेकिन श्रीकृष्ण ने पुकारने का इंतजार क्यों कि इस का स्पष्टीकरण इस कहानी में है
महाभारत में द्युतक्रीड़ा के समय युद्धिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया और दुर्योधन की ओर से मामा शकुनि ने द्रोपदी को जीत लिया। उस समय दुशासन द्रौपदी को बालों से पकड़कर घसीटते हुए सभा में ले आया। जब वहां द्रौपदी का अपमान हो रहा था तब भीष्मपितामह, द्रोणाचार्य और विदुर जैसे न्यायकर्ता और महान लोग भी बैठे थे लेकिन वहां मौजूद सभी बड़े दिग्गज मुंह झुकाएं बैठे रह गए।
द्रौपदी को घसीटकर लाया जा रहा था तब तक भी द्रौपदी को यह भान नहीं था कि मेरा चीरहरण होने वाला है। जब दुशासन से भारी सभा में द्रौपदी की साड़ी उतारने के लिए कहा गया तब द्रौपदी को इस बात का अहसास हुआ की संकट बड़ा है। उस वक्त उनने अपने सबसे प्रिय सखा भगवान श्रीकृष्ण का नाम पुकारा। ‘हरि, हरि, अभयम कृष्णा, अभयम’
उद्धव गीता या उद्धव भागवत में श्रीकृष्ण के सखा उद्धव उनसे इस संबंध में कई सवाल करते हैं। आओ जानते हैं श्रीकृष्ण उद्धव संवाद को...
उद्धव कहते हैं, हे कृष्ण, आप पांडवों के आत्मीय प्रिय मित्र थे। आजाद बांधव के रूप में उन्होंने सदा आप पर पूरा भरोसा किया। कृष्ण, आप महान ज्ञानी हैं। आप भूत, वर्तमान व भविष्य के ज्ञाता हैं। किन्तु आपने सच्चे मित्र की जो परिभाषा दी है, क्या आपको नहीं लगता कि आपने उस परिभाषा के अनुसार कार्य नहीं किया?
आपने धर्मराज युधिष्ठिर को द्यूत (जुआ) खेलने से रोका क्यों नहीं? चलो ठीक है कि आपने उन्हें नहीं रोका, लेकिन आपने भाग्य को भी धर्मराज के पक्ष में भी नहीं मोड़ा। आप चाहते तो युधिष्ठिर जीत सकते थे। आप कम से कम उन्हें धन,...
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द्रौपदी को घसीटकर लाया जा रहा था तब तक भी द्रौपदी को यह भान नहीं था कि मेरा चीरहरण होने वाला है। जब दुशासन से भारी सभा में द्रौपदी की साड़ी उतारने के लिए कहा गया तब द्रौपदी को इस बात का अहसास हुआ की संकट बड़ा है। उस वक्त उनने अपने सबसे प्रिय सखा भगवान श्रीकृष्ण का नाम पुकारा। ‘हरि, हरि, अभयम कृष्णा, अभयम’
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