...

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तुम देवता हो....
बाल तुम्हारे रेशम जैसे,
माथा जैसे पर्वत है।
भवें तुम्हारे धनुष के जैसे,
आँखें जैसे अमृत है।
गाल तुम्हारे मलमल जैसे,
होठ तो बिल्कुल कमल फूल है।
बदन तुम्हारा अम्बर सारा,
धरा तुम्हारे चरणों की धूल है।
तुम कान्हा के जैसे पवित्र पावन हो,
जून की तपती दोपहरी में तुम ही तो मेरे सावन हो।
मोह है सबकुछ बिन तेरे सब माया है,
तुमको छूकर जाना मैंने तू ही तो मुझमें समाया है।
अगर कहो तो तुम्हें बना लूँ अपने बालों का गजरा,
तुमसे ही तो मैं हूं तुम हो तो ये मेरा जीवन है सजना।
अब तुमसे जीना मरना है मेरा तुम हो तो मैं हूं, तुम्हें चाहना अब मेरा काम है। तुम्हारा साथ होना उतना जरूरी नहीं है मेरे लिए जितना तुम्हारा सिर्फ़ होना जरूरी है। तुमको देखती हूं तो ऐसा लगता है मेरे सारे जन्मों की पुण्य कमाई हो तुम। मेरे शरीर में प्राण तुमसे है, मेरे होंठों पर हँसी तुमसे है।