...

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दिया और जल
दिया कुछ इस तरह,
रात के वक्त जब चांद आया,
तब हाल ही हाल दिया मुस्कुराया,
दिया का मन मचलने लगा,
दिया ने चांद से कहा,
ओह चांद। जब तुम आते हो,
मुझे रोशनी दे जाते हो,
मुझे सजने की क्या जरूरत है,
मेरी बाती और तेल में तुम ही नजर आते हो,
अब तो लगता है,
तुम ही प्रेमी, तुम ही आशिक हो,
मुझे सजने की क्या जरूरत है,
मेरे लिए तुम ही काफी हो,
नहीं मेरा कोई यहां,
मै अकेली रहती हूं,
तुम्ही मेरा श्रृंगार करते हो,
मै खुद को बहुत खूबसूरत समझती हूं,
तुम ही समय पार चांद आते हो,
तुम ही मेरा श्रृंगार हो,
प्रियतम। मै तुम्हे अपना पति मानती हूं,
नहीं मेरा कोई, तुमसे ही मै सुहागन लगती हूं,
तुम मुझे रोशनी से हूर बनाते हो,
मै सिर्फ तुम्हारा ही इंतजार करती हूं,
सिर्फ तुम्हारा इंतजार करती हूं,
मेरे जल में सिर्फ आप रहते हो,
जल में आप रहते हो,
पर जल मेरे साथ रहता है,
आप दूर रहते हो,
यह जल हमसफर है मेरा,
मै जल से इश्क करती हूं,
मै हां, जल से इश्क करती हूं,
दिया मुझको, कल मिल गया,
अब चांद नहीं चाहिए,
जो है, उसको ही श्रेष्ठ मानती हूं,
जो है, उसमे संतुष्ट रहती हूं।