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भगवान को एक पत्र 😊
एक बार की बात है। लैंचो नाम का एक किसान अपने परिवार के साथ छोटी पहाड़ी की चोटी पर रहता था। उसके घर से आसपास की नदियों,हरे भरे खेतों और खलियानों की सुंदर छवि दिखाई देती थी।एक बार वह अपने घर के बाहर पूरे दिन बैठकर आसमान को निहार रहा था। उसकी पत्नी घर में दोपहर का खाना बना रही थी, उसके बच्चे बाहर खेल रहे थे। उत्तर की तरफ से कुछ काले बादल आते दिखाई दिए। वह खुशी से अपनी पत्नी से बोलता है कि अब हमें कुछ पानी मिलाने वाला है। उसकी पत्नी उसकी हां में हां मिलाते हुए बोलती है कि हां जैसी प्रभु की इच्छा। और अपने बच्चों को खाने के लिए बुलाने लगती है। सभी लोग घर में खाना खा रहे थे,तभी बाहर से बारिश होने की आवाज सुनाई देती है और लैंचो अपना खाना छोड़ कर बाहर बारिश का आनंद लेने आ जाता है। वह बारिश होते देखकर बहुत खुश हो जाता है और खुशी से चिल्लाने लगता है कि यह बारिश की बूंदे नहीं हमारे लिए पैसे हैं। छोटी-छोटी बूंदे 5 सेंट और बड़ी बूंदे 10 सेंट की है और सोचता है कि अब यह बारिश जल्दी से चली जाए। लेकिन तभी बहुत जोर से अंधी आ जाती है और ओले पडने लगते हैं। देखते ही देखते पूरा वातावरण बर्फ से ढक गया था ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने नमक की चादर बिछा दी हो। लैंचो का खेत पूरी तरह से बर्फ से ढक गया था उसकी फसले खराब हो गई थी। लैंचो यहां सब देखकर बहुत परेशान हो जाता है। और कहता है कि इस साल हम भूखे मरने वाले हैं। उसने कहा कि अगर एक झुंड लॉक्टस (एक प्रकार का कीड़ा) का आया होता तो भी कुछ छोड़ कर चला जाता लेकिन इस बारिश ने मेरी सारी फसल खराब कर दी है। और वह निराश होकर बस एक ही बारे में सोच रहा था वह अब क्या करेगा अपने परिवार को क्या खिलाएगा। तभी उसकी पत्नी उसको दिलासा देते हुए बोलते है इस दुनिया में कोई भूखा नहीं मारता सबको भगवान देख रहे हैं किसके अंदर क्या चल रहा है वह भी भगवान को पता होता है। और लैंचो यह निर्णय लेता है कि वह भगवान को एक पत्र लिखेगा। अगले दिन लैंचो ने भगवान को एक पत्र लिखा जिसमें उसने बताया कि भगवान मुझे अपनी फसल फिर से बन के लिए 100 पैसों की जरूरत है। आप मुझे पैसे दे दें। और उसे डाकखाने ले जाकर एक मोहर लगाकर भगवान के नाम से डाक में डाल देता है। फिर डाक खाने का एक कार्यकर्ता उसे पत्र को देखता है और हंसने लगता है। उसे ले जाकर डाकिए को दिखाता है। और डाकिया भी उसे पत्र को देखकर हंसने लगता है। डाकिया कहता है कि मैं अपने 30 साल के कार्य में आज तक ऐसा विश्वास भगवान पर किसी का नहीं देखा। और वह निर्णय लेता है कि उस पत्र का उत्तर देगा। क्योंकि वह नहीं चाहता था कि लेंचो का विश्वास भगवान से टूटे। लेकिन उसे पत्र का उत्तर देने के लिए कागज और स्याही से भी अधिक कुछ चाहिए था। उसने अपने कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया कि वे लोग थोड़े-थोड़े पैसे दान करें लेंचो की मदद करने के लिए। सबने अपनी-अपनी आमदनी में से कुछ पैसे दान किए। सब पैसे जोड़ने के बाद केवल 70 पैसे हो पाते हैं। वहां पैसों को एक एनवेलप में करके भगवान के नाम से हस्ताक्षर कर देता है। अगले दिन लैंचो पत्र को लेने जल्दी आ जाता है ऐसा प्रतीत हो रहा था उसको या विश्वास था कि भगवान का उत्तर जरूर आएगा। जब उसने पत्र दिखा तो उसको बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ ऐसा लगा उसको पहले से पता था कि भगवान उसका उत्तर जरूर देंगे। जब उसने उसे एनवेलप को खोल तो वह गुस्से से लाल हो गया क्योंकि उसने 70 पैसे ही थे। और वह डाकखाने से एक कागज और स्याही लेकर कुछ लिखने लगा। लिखने के बाद उसने उसे पत्र को डाक में डाल दिया। अबकी बार उसे पत्र को लेने डाकिया खुद गया। जब उसने उसे खोला तो देखा कि उसमें लैंचो ने और पैसे मांगे हैं और कहां है कि भगवान मुझे बचे हुए पैसे भी दे दो मेरे पास केवल 70 पैसे ही पहुंचे हैं और इसे डाकखाने के द्वारा मत भेजना क्योंकि खाने के कार्यकर्ता है वह चोर है उन्होंने हमारे पैसे चुरा लिए हैं हमें इन पैसों की सख्त जरूरत है। यह देखकर डाकिए को बहुत दुख हुआ। लेकिन फिर भी उसने बचे हुए पैसे अपने आमदनी से काट कर दिया। क्योंकि वह नहीं चाहता था कि लंच का विश्वास भगवान पर से उठ जाए। उसने भगवान पर इतना विश्वास किसी का नहीं देखा था। और वह सोच रहा था कि काश इतना विश्वास मेरा भी भगवान पर होता। और फिर से हस्ताक्षर भगवान के नाम का किया।
शिक्षा:– १) हमें भगवान पर विश्वास करना चाहिए।
२) बिना जाने किसी के बारे में कुछ नहीं बोलना चाहिए।
३) हमें हमेशा मदद करने वाले का शुक्रगुजार होना चाहिए।
~ श्वेता यादव