योगदान
उतना ही लो थाली में,
की व्यर्थ ना जाए नाली में।
यह बात मेरी नानीजी हमे अक्सर कहती थी। उन्ही के संस्कारो की बदौलत आज शायद में थोड़ा बहुत विवेक जानता हूं। आज हम देख रहे है कि शादियों में, पार्टियों मे, यहा तक की हमारे घरों में भी खाना बहुतायत में बनता है। वह भोजन जिसको ग्रहण करने वाले सदस्यों की संख्या बहुत कम है। सिर्फ और सिर्फ हमारे झुटे गरुर और अभिमान को पुष्ट करने के लिए। अधिकांश लोग इसी प्रतियोगिता के चलते कि हमारा सम्मान घटेगा यदि हमने राजशाही शादी या पार्टी नहीं रखी तो। और अमीरों में होने वाली इसी प्रतियोगिता के चलते इतना अधिक भोजन हर वर्ष व्यर्थ हो जाता है जिससे करीबन दस लाख लोगों को रोजाना खिलाया जा सकता है। सिर्फ व्यर्थ जो नाली में या कचरे में फेक दिया जाता है उस भोजन की बात कर रहा हूं में।
परिणाम स्वरूप भोजन सामग्रियों की कीमतें आसमान पार कर रही है। देखिए, क्योंकि भोजन ,अनाज,दाल,फल,सब्जियों,दूध डेरी सबकी पैदावर तो...
की व्यर्थ ना जाए नाली में।
यह बात मेरी नानीजी हमे अक्सर कहती थी। उन्ही के संस्कारो की बदौलत आज शायद में थोड़ा बहुत विवेक जानता हूं। आज हम देख रहे है कि शादियों में, पार्टियों मे, यहा तक की हमारे घरों में भी खाना बहुतायत में बनता है। वह भोजन जिसको ग्रहण करने वाले सदस्यों की संख्या बहुत कम है। सिर्फ और सिर्फ हमारे झुटे गरुर और अभिमान को पुष्ट करने के लिए। अधिकांश लोग इसी प्रतियोगिता के चलते कि हमारा सम्मान घटेगा यदि हमने राजशाही शादी या पार्टी नहीं रखी तो। और अमीरों में होने वाली इसी प्रतियोगिता के चलते इतना अधिक भोजन हर वर्ष व्यर्थ हो जाता है जिससे करीबन दस लाख लोगों को रोजाना खिलाया जा सकता है। सिर्फ व्यर्थ जो नाली में या कचरे में फेक दिया जाता है उस भोजन की बात कर रहा हूं में।
परिणाम स्वरूप भोजन सामग्रियों की कीमतें आसमान पार कर रही है। देखिए, क्योंकि भोजन ,अनाज,दाल,फल,सब्जियों,दूध डेरी सबकी पैदावर तो...