जादुई काली कुर्सी
Pic Credit - Etsy
#कालीकुर्सी
निकिता ने पूरी रात सोचती रही
अपने ऑफिस के कैबिन के लिए कहां से कुर्सी ले
वो नहीं जानती ऐसे किसी को
तो कैसे और कहां से खरीदेगी कुर्सी
निकिता उस समय सो गयी
पर सुबह 8 बजे उठकर तैयार होकर
9:30 बजे कुर्सी की शॉप देखने गयी
उस समय शॉप नहीं खुली थी
निकिता इंतजार करने लगी
आधे घण्टे बाद शॉप खुली
मनीष आकर साफ़ सफाई करने लगा
मनीष दुकान मे काम करता था
निकिता शॉप के अंदर गयी
मुझे काली कुर्सी लेनी है
मनीष ने एक बारगी निकिता को देखा और अपने काम मे लग गया
थोड़ी देर बाद लड़के ने कहा मेरा नाम मनीष है मैं यहां काम करता हूं
मुझे काली कुर्सी चाहिए
देखिए इतनी सारी काली कुर्सी है आप कोई भी पसंद कर लीजिए
ये नहीं वो
सामने एक कुर्सी पर इशारा करके निकिता ने कहा
वो कुर्सी नहीं दे सकता
क्यों ?
वो वो
वो वो क्या ?
ये कुर्सी तय करती है उसे लगा तो आप ले जा सकते है इस कुर्सी को
मज़ाक मत करो ये बताओ कितने की है ये कुर्सी मैंने जब से ये कुर्सी देखी है मेरी आंखे नहीं हट रही
आप यकीन नहीं कर रही ये कुर्सी तय करती है किसके साथ जाना हैं
पता कैसे पड़ेगा कुर्सी जाना चाहती है मेरे साथ
वो आपके पास आ जाएगी
ऐसा कुछ नहीं हुआ निराश होकर निकिता जाने लगी
तभी कुर्सी उड़ती हुई उसके पास आयी
ये देखकर निकिता हैरान रह गयी
यानी इस कुर्सी ने आपको पसंद करा है नहीं तो इतने आकर गए किसी कुर्सी ने उड़कर जवाब नहीं दिया
आपको ही जवाब मिला
इसके कितने पैसे हुए
3000 रुपये
निकिता पैसे देने लगी
पर कुर्सी गोल गोल घूम कर मना करने लगी जैसे कह रही हो मैं जादुई हूं पैसे मत दो
आखिरकार निकिता को पैसे ना देने वाली बात थोड़ी समझ मे आयी और उसने पैसे नहीं दिए
मनीष बस जाते देखता रहा
उसके जाते ही शॉप के ग्राहको की भीड़ लग गयी
यानी कुर्सी ने पहले तय कर रखा था की
कुर्सी जब यहां से जाएगी तो अपने मालिक की शॉप मे मुनाफा कराएगी
निकिता उसे लेकर पहले तो ऑफिस जाने वाली थी
पर सोचा कुछ दिन कुर्सी को घर मे रखे
उसके कारण निकिता के पैसे प्रॉब्लम हट गयी
उसके बाद निकिता ने कुर्सी को ऑफिस मे ले जाकर रखी
उसके कारण ऑफिस बहुत ऊंचाई पर जाने लगा
इतनी उन्नति के कारण लोगों ने निकिता की बहुत तारीफ की
निकिता समझ नहीं पायी
आखिर मैंने वही कुर्सी क्यों पसंद की थी
समाप्त
24/6/2024
2:05 दोपहर
#PINTEREST
© ©मैं और मेरे अहसास
#कालीकुर्सी
निकिता ने पूरी रात सोचती रही
अपने ऑफिस के कैबिन के लिए कहां से कुर्सी ले
वो नहीं जानती ऐसे किसी को
तो कैसे और कहां से खरीदेगी कुर्सी
निकिता उस समय सो गयी
पर सुबह 8 बजे उठकर तैयार होकर
9:30 बजे कुर्सी की शॉप देखने गयी
उस समय शॉप नहीं खुली थी
निकिता इंतजार करने लगी
आधे घण्टे बाद शॉप खुली
मनीष आकर साफ़ सफाई करने लगा
मनीष दुकान मे काम करता था
निकिता शॉप के अंदर गयी
मुझे काली कुर्सी लेनी है
मनीष ने एक बारगी निकिता को देखा और अपने काम मे लग गया
थोड़ी देर बाद लड़के ने कहा मेरा नाम मनीष है मैं यहां काम करता हूं
मुझे काली कुर्सी चाहिए
देखिए इतनी सारी काली कुर्सी है आप कोई भी पसंद कर लीजिए
ये नहीं वो
सामने एक कुर्सी पर इशारा करके निकिता ने कहा
वो कुर्सी नहीं दे सकता
क्यों ?
वो वो
वो वो क्या ?
ये कुर्सी तय करती है उसे लगा तो आप ले जा सकते है इस कुर्सी को
मज़ाक मत करो ये बताओ कितने की है ये कुर्सी मैंने जब से ये कुर्सी देखी है मेरी आंखे नहीं हट रही
आप यकीन नहीं कर रही ये कुर्सी तय करती है किसके साथ जाना हैं
पता कैसे पड़ेगा कुर्सी जाना चाहती है मेरे साथ
वो आपके पास आ जाएगी
ऐसा कुछ नहीं हुआ निराश होकर निकिता जाने लगी
तभी कुर्सी उड़ती हुई उसके पास आयी
ये देखकर निकिता हैरान रह गयी
यानी इस कुर्सी ने आपको पसंद करा है नहीं तो इतने आकर गए किसी कुर्सी ने उड़कर जवाब नहीं दिया
आपको ही जवाब मिला
इसके कितने पैसे हुए
3000 रुपये
निकिता पैसे देने लगी
पर कुर्सी गोल गोल घूम कर मना करने लगी जैसे कह रही हो मैं जादुई हूं पैसे मत दो
आखिरकार निकिता को पैसे ना देने वाली बात थोड़ी समझ मे आयी और उसने पैसे नहीं दिए
मनीष बस जाते देखता रहा
उसके जाते ही शॉप के ग्राहको की भीड़ लग गयी
यानी कुर्सी ने पहले तय कर रखा था की
कुर्सी जब यहां से जाएगी तो अपने मालिक की शॉप मे मुनाफा कराएगी
निकिता उसे लेकर पहले तो ऑफिस जाने वाली थी
पर सोचा कुछ दिन कुर्सी को घर मे रखे
उसके कारण निकिता के पैसे प्रॉब्लम हट गयी
उसके बाद निकिता ने कुर्सी को ऑफिस मे ले जाकर रखी
उसके कारण ऑफिस बहुत ऊंचाई पर जाने लगा
इतनी उन्नति के कारण लोगों ने निकिता की बहुत तारीफ की
निकिता समझ नहीं पायी
आखिर मैंने वही कुर्सी क्यों पसंद की थी
समाप्त
24/6/2024
2:05 दोपहर
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