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पिता - माता
सच्ची मां हमेशा ये चाहती है की उसकी संतान की ज़िंदगी की हर राह आसान हो , जबकी जिम्मेदार पिता ये चाहता है की उसकी संतान जिंदगी के कठिन से कठिन रास्तों पर जीतता हुआ आगे बढ़े। इसीलिए माँ - बाप के परवरिस का तरीका अलग होता है। बचपन में पिता से ज्यादा बच्चा मां से प्यार करता है लेकिन जैसे जैसे वो दुनियादारी देखता है पिता की एक एक बात एक एक डांट उसे माँ के एक एक दूध की बुंद के बराबर लगती है। ' म ' से माँ एवं ममता दोनो शब्द बने हैँ इसीलिए सभी माँ को ममता का रूप कहतें हैँ , जबकि वास्तविकता में ' ममता ' हृदय में प्रेम से उत्पन्न भाव है जिसमे बिना किसी लालच के सबकुछ न्योछावर कर देने की इच्छा होती है। पिता की ममता माँ की ममता से किसी भी मायने में कम नहीं।

जिम्मेदार पिता एवं माता के लिए उसकी संतान की उपलब्धि एवं खुशी ही मातृदिवस एवं पितृदिवस है।
© RamKumarSingh(राम्या)