मेरा शहर...
तो लो भैया हम लौट आए अपने शहर, जी हमारा नाम हैं मुकुंद तिवारी 🧔और हम आज कई सालों बाद अपने शहर वापस आए हैं, हम ज़रा कई सालों पहले अपना 🏠घर-बार, छोड़-छाड़ के भाग🏃 गए थे ! वो हुआ क्या था कि हम जब छोटे👶 थे तो हमारे बाबुजी👳 ने कन्टापों🤜👊🤛 की झड़ी लगा दी थी हमारे ऊपर🤕, कन्टाप समझे की नहीं समझे अरे, यार जिसे आपके यहा चांटा👋, झापड़🖐️, रैपटा🫱 और भी कई नामों से संबोधित करते हैं ! हा वही सही समझे अब आप😊... तो हुआ ये कि हम थे स्कूल🏢 में और स्कूल के एक लड़के😈 ने खेलते हुए हमे धक्का-मुक्की करके नीचे गिरा दिया ! अब आप बताये कि आप को कोई बिना वजह कन्टाप👋 लगा दे तो आप उसके साथ क्या करेंगे.... हा तो बस वही हमने भी किया ! फ़िर क्या था उसके माता-पिता👪 जो कि हमारे पड़ोसी थे और दुर्भाग्यवश हमारे बाबु जी के दोस्त🧑🤝🧑 भी थे ! पिता जी👳 ने उसकी और उसके माँ-बाप की बात सुनी और जब मेरे बोलने की बारी आई तो सबने मेरे चीखने-चिल्लाने😬 और की रोने😭 की आवाज़ सुनी ! बस फ़िर क्या था हमने भी बहुत फिल्म🏬 देखी हैं भाई सहाब ! हमने...