सफ़रनामा…ये दक्षिण के स्कूल
गाइडींग के दौरान असंख्य स्कूल विज़िट किए हैं, और आगे भी करते रहेंगे।
उस दिन मदुरई से कुछ किलोमीटर दूर हमारी ट्युरिस्ट बस के ड्राइवर साहब का गाँव था सो तय हुआ कि उन्हीं के गाँव का स्कूल अपने पर्यटकों को भी दिखा दिया जाएगा ।
गाँव से कई किलोमीटर पहले ही उनका चचेरा भाई हमें ससम्मान लेने आ चुका था सो तयशुदा कार्यक्रम के चलते हम उस भाई के पीछे पीछे हो लिए… चंद गलियाँ क्रोस करने के बाद हम गाँव के मुख्य स्कूल में थे जोकी लगभग गाँव के तीन से चार मकानों के बीच कमरों कमरों में फैला हुआ था ।
स्कूल जितना छोटा था मैनेजमेंट उतना ही मज़बूत था। जहाँ जो होना था लगभग वहीं वो सब कुछ था। रंग बिरंगी सजावट, क़िस्से कहानियों की किताबें, हँसता हुआ माहौल यहाँ तक की आखर ज्ञान से लेकर व्याकरण तक सब कुछ सरलीकरण के साथ दिवारों पर दर्शाया हुआ था।
स्कूल स्थानीय अध्यापिकाओं के हाथ में था सो बच्चों के साथ उनकी बॉंडिंग देखते ही समझ आती थी, हमारे जमाने वाला छडीदार माहौल यहाँ पर कोसों दूर तक नज़र नहीं आता था बल्कि यहाँ के छात्र छात्राएँ सेल्फी के लिए कई तरह की मुद्राएँ बनाने में माहिर थे।
मुख्य अध्यापिका से बात करने पर मालूम चला कि उनका एक यूट्यूब चैनल भी है जिस पर 9 लाख से अधिक फ़ॉलोअर हैं और इन मेडम साहिबा को शिक्षा के क्षेत्र में अब तक लगभग 26-27 पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है।
उस दिन उस छोटे से गाँव में जाकर कुछ सकारात्मक सीखने को मिला कि चाहे आपके पास संसाधन कितने भी सीमित क्यूँ ना हो यदि आप में हौसले हैं तो आप जो भी चाहे वो वही मुक़ाम हासिल कर सकते है….
सम्मुगम अन्ना ( हमारे चालक), शीला मैडम (मुख्य शिक्षिका) एवं उनकी टीम का हार्दिक आभार जिन्होंने हमें कुछ पलों के लिए अपने छोटे से ड्रीम वर्ल्ड में शामिल होने दिया और जीवन की सकारात्मकता का पाठ अपने सरल व सहज तरीक़े से समझाने का प्रयास किया।
🙏🙏
© theglassmates_quote
उस दिन मदुरई से कुछ किलोमीटर दूर हमारी ट्युरिस्ट बस के ड्राइवर साहब का गाँव था सो तय हुआ कि उन्हीं के गाँव का स्कूल अपने पर्यटकों को भी दिखा दिया जाएगा ।
गाँव से कई किलोमीटर पहले ही उनका चचेरा भाई हमें ससम्मान लेने आ चुका था सो तयशुदा कार्यक्रम के चलते हम उस भाई के पीछे पीछे हो लिए… चंद गलियाँ क्रोस करने के बाद हम गाँव के मुख्य स्कूल में थे जोकी लगभग गाँव के तीन से चार मकानों के बीच कमरों कमरों में फैला हुआ था ।
स्कूल जितना छोटा था मैनेजमेंट उतना ही मज़बूत था। जहाँ जो होना था लगभग वहीं वो सब कुछ था। रंग बिरंगी सजावट, क़िस्से कहानियों की किताबें, हँसता हुआ माहौल यहाँ तक की आखर ज्ञान से लेकर व्याकरण तक सब कुछ सरलीकरण के साथ दिवारों पर दर्शाया हुआ था।
स्कूल स्थानीय अध्यापिकाओं के हाथ में था सो बच्चों के साथ उनकी बॉंडिंग देखते ही समझ आती थी, हमारे जमाने वाला छडीदार माहौल यहाँ पर कोसों दूर तक नज़र नहीं आता था बल्कि यहाँ के छात्र छात्राएँ सेल्फी के लिए कई तरह की मुद्राएँ बनाने में माहिर थे।
मुख्य अध्यापिका से बात करने पर मालूम चला कि उनका एक यूट्यूब चैनल भी है जिस पर 9 लाख से अधिक फ़ॉलोअर हैं और इन मेडम साहिबा को शिक्षा के क्षेत्र में अब तक लगभग 26-27 पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है।
उस दिन उस छोटे से गाँव में जाकर कुछ सकारात्मक सीखने को मिला कि चाहे आपके पास संसाधन कितने भी सीमित क्यूँ ना हो यदि आप में हौसले हैं तो आप जो भी चाहे वो वही मुक़ाम हासिल कर सकते है….
सम्मुगम अन्ना ( हमारे चालक), शीला मैडम (मुख्य शिक्षिका) एवं उनकी टीम का हार्दिक आभार जिन्होंने हमें कुछ पलों के लिए अपने छोटे से ड्रीम वर्ल्ड में शामिल होने दिया और जीवन की सकारात्मकता का पाठ अपने सरल व सहज तरीक़े से समझाने का प्रयास किया।
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