उनके तबस्सुम की अदा.
जल्वे मचल पड़े तो सहर का गुमाँ हुआ,
ज़ुल्फ़ें बिखर गईं तो सियाह रात हो गई।
अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो,
जुल्फें संवार कर कभी जुल्फें बिगाड़ कर।
छेड़ आती हैं कभी लब तो कभी...
ज़ुल्फ़ें बिखर गईं तो सियाह रात हो गई।
अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो,
जुल्फें संवार कर कभी जुल्फें बिगाड़ कर।
छेड़ आती हैं कभी लब तो कभी...