" सूनी आँखों के सपने "
जाने कितनी उम्मीदें उन आँखों में सेज सजाये बैठी हैं
सूनी आँखों में सुनहरे सपने बरसों से सजाये बैठी हैं
कुछ अपने वापस आने का वादा करके गए मग़र
वापस आने की राह ना पकड़ी, कबसे आस लगाएँ बैठी हैं
खोखले ही...
सूनी आँखों में सुनहरे सपने बरसों से सजाये बैठी हैं
कुछ अपने वापस आने का वादा करके गए मग़र
वापस आने की राह ना पकड़ी, कबसे आस लगाएँ बैठी हैं
खोखले ही...