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मेरी ट्रेन की प्रेम यात्रा भाग तीन।
जैसा कि मैंने बताया था कि अब उसने अपनी प्रोफाइल दिखाई मैंने झट से उसकी आईडी देख ली और उसपे रिक्वेस्ट भेज दी उसने पहले मुझे और बारीकी से पहले चेहरा मिलाया और फिर स्वीकार कर ली फिर मुंह बना कर बैठ गई सुबह हो चुकी थी उसका स्टेशन आ गया और वो उतर गई अब ऐहसास राहुल और सिनोरेता वाला था कि अगर पलटी तो प्यार है 😁फिर क्या मैंने देखता गया अब ।अब।और पलट पलटी चलो सांस में सांस आई उसके जाने के पश्चात अब मन चंचल व्याकुल हो रहा था फिर मेरा सटेशन आया और मै भी उतर गया अब शाम हो चली थी मै ऑनलाइन आया देखा एक संदेश आया है हाय मैंने भी हैलो से शुरुआत की और फिर क्या ट्रेन की इधर उधर की बाते होने लगी ये ऐसा वो वैसा फिर उसके उसने मेरे बारे में काफी कुछ पूछा मैंने उसके बारे काफी कुछ अचानक उसने पूछा आपकी कोई ग्रलफ्रेंड है मैंने मै तो वैरागी आदमी शून्य से बाईस का हो गया कोई पसंद ही नहीं करती करती है तो बोलती नहीं बोलती
फिर मैंने पूछा तुम्हारा कोई उसने ना में जवाब दिया और फिर क्या मामला सेट फिर क्या रात दिन संदेश का आवागमन चालू क्या कर रही चुड़ैल कुछ नहीं भूत मै उसे चुड़ैल कहता और वो मुझे भूत रिश्ता दोस्ती मगर दोनों म प्यार था कोई दोनों एक दूसरे का ऐहसास कर सकते थे मगर कहा गया है वो तीन जादुई शब्द जल्दी आदमी के मुंह से नहीं निकल सकते बस ये विषय वहीं पे अटका था सवाल ये था अब बोले कौन उसकी जिज्ञासा थी मै मेरी की वो बात होती बीच बीच में छोटी छोटी लड़इया भी मगर भगवान को कुछ और कुछ और मंजूर एक दिन उस लड़की ने बात बात में किसी बहस पर अभद्र टिप्पणी कर की तुम क्यों बात करते हो मैंने कहा क्या हो अब बेचारा मै मुझे बहुत ग्लानि हुई जिसने कभी किसी को छेड़ा ना हो टिप्पणी ना कि हो जो कभी किसी के आगे नतमस्तक ना हुआ हो एक लड़की ऐसा बस प प्रतिज्ञा ली कि अगर अब उससे बात की तो खुद कभी माफ नहीं कर सकता और यही होना उस दिन के बाद मैंने कभी बात नहीं की और ना उसने ।

दोस्तो। ये कहानी पूरी काल्पनिक है इसमें सत्यता नहीं बस मन का गढ़ा शब्द और कुछ नहीं क्या शिक्षा मिलती है ये बताए और जो दो भाग इसके पहले का नहीं पढ़े कृपा पहले पढ़ के आए फिर बताएं ।
dhanywad
© navneet chaubey