बस इतना सा साथ 60
( नेहा घर पहुँचती है, तो मम्मी उससे पूछती हैं। )
नेहा की मम्मी - आज तो जल्दी आ गई।
नेहा - हाँ, आज सुबह बच्चों का टेस्ट है । तो वो
शाम को आएंगे इसलिए अभी बस दो ही
क्लास थी।
नेहा की मम्मी - अच्छा है अब तू थोड़ा आराम
कर ले ।
नेहा - आराम कहाँ , (कॉपी दिखाते हुए ) कितने
टेस्ट पेपर चेक करने के हैं । ये एग्जाम ना
और काम बढ़ा देते हैं । बाकी दिन में तो
बस पढ़ाना होता पर इस एग्जाम टाइम में
पढ़ाओ , डाउट लो ऊपर से इतने सारे टेस्ट
पेपर्स बनाओ, चेक करो काम और बढ़
जाता है।
नेहा की मम्मी - एग्जाम तक के लिए कोई टीचर
रख ले , कुछ और नहीं तो तेरे ये पेपर तो
चेक कर ही देगा।
नेहा- फ्री में नहीं करेगा , पैसे भी लेगा ।
नेहा की मम्मी - इतने कितने ले लेगा , चार- पाँच
हजार।
नेहा - तो चार - पाँच हजार ऐसे ही हैं, ऊपर से
अभी ये शादी का खर्चा । जिस तरह की
आपकी ख्वाहिशें हैं मुझे तो लगता है पूरा
बजट हिला दोगे ।
नेहा की मम्मी - कुछ नहीं हिलेगा , और शादी के
लिए ही बोल रही हूँ। अब थोड़ा वक़्त
इसके लिए भी निकालना होगा ।
नेहा - अब क्या वक़्त निकालना है । शॉपिंग का
काम पहले ही बोला था आप लोग
सम्भालोगे उसमें बहुत वक़्त जाता है । ( मम्मी कुछ बोलने लगती हैं। ) नहीं कोई
इमोशनल बात नहीं , प्लीज। आपकी रस्में
कम टाइम थोड़ी ना लेगी । वो भी तो मेरा
पूरा टाइम बिगाड़ देगी ।
नेहा की मम्मी - पागल लड़की, रस्में मेरी नहीं
तेरी हैं। चल बाकी शॉपिंग तो हम कर लेंगे ,
पर तेरी शॉपिंग तो तुझे ही करनी होगी ।
नेहा- वो भी जीतना हो सके आप कर लेना ,
बाकी बच्चों के एग्जाम के बाद का एक
दिन बता देना मैं देख लूँगी उस दिन । वैसे
भी अभी बहुत वक़्त है , पहले तारीख तो
निकलने दो ।
नेहा की मम्मी - तारीख ही तो निकल गई है , वो
जो तेरी सांस ने आज फोन किया था ना ...
नेहा- मम्मी, ऐसे क्यूँ बोल रहे हो ।
नेहा की मम्मी - कैसे ?
नेहा की मम्मी - आप ये सांस की जगह उनके
नाम से बोल लो , या फिर मनीष की मम्मी
कर के बोल लो पर ये सांस बड़ा बेकार -
सा लगता है सुनने में।
नेहा की मम्मी - इसमें बेकार क्या है, सांस है तो
सांस ही बोलेंगे।
नेहा- एक बात बताओ , आप क्या चाहते हो वो
टिपीकल वाली सांस बन कर रहे या फिर
माँ बन कर रहे ।
नेहा की मम्मी - जिस तरह से वो बात कर रही
थी , वो अपनी सांस वाली हरकत तो
छोड़ेगी नहीं। ( नेहा को भी उनके बात करने का तरीका , उनकी बात ध्यान आती है । )
पर मैं क्या हर माँ यही चाहती है कि उसे
माँ मिले ।
नेहा - उनका तो मुझे भी नहीं पता।
नेहा की मम्मी- क्या हुआ कुछ बोली क्या ?
नेहा - ऐसा तो कुछ खास नहीं , बस सांस हूँ मैं
तेरी मुझसे तो बात कर लिया कर । सबसे
पहले तुझे मुझे खुश करना पड़ेगा । कुछ
ज्यादा ही गुमान हो मानो।
नेहा की मम्मी - गुमान तो होता ही है, लड़के वाले
हैं ना । बस ये तुम लोग शहर में रहे हो
शादी ब्याह इतने देखे नहीं वरना गाँव में तो
ये कुछ ज्यादा ही बढ़ चढ़ कर होता है।
नेहा - ये आपके हरियाणा में है , मम्मी आप
पंजाबी क्यूँ नहीं थे वहाँ सब कुछ बड़ा
अच्छा है गुरुद्वारे में शादी, ना ये लहंगे
वगैरह का ताम- झाम। ऊपर से उनकी
भाषा, शब्दों में ही प्यार है और एक ये
हरियाणा वाले सूट- बूट में बाबूजी और
मुँह खोलते ही फूफा जी ।
नेहा की मम्मी - चुप कर , कुछ भी बोलती है। ( नेहा को छेड़ते हुए। ) वैसे कोई पंजाबी मुंडा
पसंद है तो वो बता दे, तेरे पापा से मैं बात
कर लूँगी।
नेहा- क्या मम्मी आप भी ।
नेहा की मम्मी - माँ और बेटी दोस्त होती हैं, कुछ
है तो तू मुझे बता सकती है।
नेहा- ओ, मेरी दोस्त ऐसा कुछ नहीं है । ऐसा
कुछ होता तो कब का बता दिया होता इस
रिश्ते की बात इतनी आगे ना बढ़ने देती ।
ये छोड़ो तारीख का क्या है देखो मैंने पहले
ही कहा था बच्चों के एग्जाम के बाद या
इनकी छुट्टियों के वक़्त रखना । कोई और
रखी है तो बदल दो ।
नेहा की मम्मी - मेरी भी सुन ले ।
नेहा - हाँ , बोलो ।
नेहा की मम्मी - सगाई की तारीख निकल वाई है
उन्होंने।
नेहा - सगाई का अलग से ।
नेहा की मम्मी - हाँ कह तो रहे हैं । ( नेहा कुछ
बोले इससे पहले ही मम्मी बोल पड़ती हैं। ) तेरे
पापा ने हाँ कर दी है , अब बस इतना बता
नवमी से पहले तेरे जिगर के टुकड़े बच्चों के
एग्जाम खत्म हो जाएंगे?
नेहा - क्या नवमी, मतलब ये इस महीने की
नवमी। ( कैलेंडर में देखते हुए ।) मतलब इस
महीने की 25 तारीख ।
नेहा की मम्मी - हाँ , इस महीने की 25 तारीख ।
नेहा - कौन सी ट्रेन पकड़ रहे हो ।
नेहा की मम्मी - बच्चों के एग्जाम खत्म हो जाएंगे
या नहीं ।
नेहा - वो तो 24 को हो जाएंगे।
नेहा की मम्मी - बस फिर एक बार पंडित जी से
और पूछ लेते हैं , अगर मुहूर्त सही हुआ तो
यही फाइनल।
( इतने में गौरव उठ जाता है , और कहता है। )
गौरव - क्या बात है , पढ़ाने के साथ अब तूने
मुहूर्त भी निकालने शुरू कर दिए।
नेहा - काश निकाल पाती, तो सबसे पहले तेरी
कसरत का मुहूर्त निकालती। तोंदू राम
कहीं का ।
गौरव - ( पेट की तरफ देखते हुए। ) ओए, तोंद
कह इंसलट ना कर इसकी । तुझे पता भी
है कितनी मेहनत लगती है अपनी सेहत
बनाने में।
नेहा - सेहत, पूरी साइंस भूल गया क्या तू
कम्प्यूटर करते- करते।
नेहा की मम्मी - तुम दोनों फिर कुत्ता- बिल्ली की
तरह लड़ने लगे । और नेहा तुझे अब नहीं
चेक करनी अपनी कॉपी ।
गौरव - नहीं मुहूर्त निकालेगी।
नेहा - मम्मी इसको चुप कराओ।
( और कॉपी ले अपने कमरे में जाने लगती है। )
गौरव - ओए सुन, ( मम्मी उसे चुप रहने को कहती हैं। )
नेहा की मम्मी - क्यूँ तंग कर रहा है उसे ।
गौरव - मम्मी एक मिनट रुको ना । ( और थोड़ा ज़ोर से बोलता है। ) तू ये कसरत वाला मुहूर्त तेरे
मियां जी का निकाल दे , थोड़ी तोंद तो
उनके भी है।
( नेहा की मम्मी और गौरव दोनों हँसते हैं। )
नेहा की मम्मी - चुप कर , ऐसे कौन बोलता है।
गौरव - अब है तो है , ( नेहा के कमरे की तरफ देखते हुए। ) लगता है सुना नहीं, मैसेज करना
पड़ेगा।
( नेहा की मम्मी गौरव के हाथ से फोन लेते हुए। )
नेहा की मम्मी - कोई जरूरत नहीं है , उसे सताने
की ।
गौरव - फोन तो दे दो ।
( और बस दोनों फोन लेने देने में लग जाते हैं। )
( अन्दर नेहा गौरव की बात सुन कहती है। )
नेहा - ( अपने आप से ) सही बात है, तोंद तो
उनकी भी है ज्यादा नहीं पर है तो सही । ( तभी ज्योति आ जाती है । नेहा चुप हो जाती है
दोनों में कुछ बात नहीं होती बस एक पल
के नजरे मिलती हैं, नेहा देखती रहती है पर
ज्योति मुँह फ़ेर चली जाती है।
नेहा - ( अपने आप से । ) पता नहीं क्या बिगाड़
दिया मैंने तेरा । हमेशा की तरह जो तुझे
पसंद नहीं वही तो है मेरे पास फिर
नाराजगी किस बात की ।
( तभी नेहा की मम्मी आ जाती हैं, और नेहा की बात सुन कहती हैं। )
नेहा की मम्मी - वो शायद तुझ से नहीं, खुद से
नाराज है। शायद अब उसे लग रहा हो कि
ये रिश्ता सही था उसके लिए।
नेहा - तो अभी उसकी ....
नेहा की मम्मी - चुप कर , कुछ भी उल्टा - सीधा
ना बोला कर । शब्दों के बड़े माइने होते हैं
जिंदगी में इन्हें ऐसे ही मत खर्च किया कर ।
नेहा- क्या बाद है सायरी...
नेहा की मम्मी- कोई सायरी वायरी नहीं। मैं
शीला आंटी के साथ पंडित जी के जा रही
हूँ। गौरव भी जाएगा तो चाबी ले ली है
लॉक लगा के जाना।
नेहा - इतनी जल्दी क्या है।
नेहा के मम्मी - फिर अगली तारीख तेरे नए सेशन
में निकली तो ।
नेहा - अरे तो कल परसों चले जाना ।
नेहा की मम्मी - अब इन पैरों की वज़ह से अकेले
जा नहीं सकती । ( नेहा की मम्मी के दोनों
का ऑपरेशन हुआ है, और एक पैर में तार डला हुआ है इसलिए अकेले नहीं भेजते । ) अब कोई
साथ जाएगा तो उसके हिसाब से भी
देखना पड़ेगा।
नेहा - हम्म ।
( नेहा की मम्मी चली जाती हैं, और नेहा कॉपी चेक में लग जाती हैं। )
( उधर मनीष की मम्मी मनीष के साथ मार्केट आई हुई होती हैं। मनीष को कपड़े दिखा रही होती हैं , पर मनीष का उसमें कोई ध्यान नहीं होता । )
मनीष की मम्मी - हाँ, अभी नेहा के लिए शॉपिंग
कर रही होती तो पूरा ध्यान होता ।
मनीष - तो ये किस के लिए कर रहे हो ।
मनीष की मम्मी - मीनू की , उसके भी तो यहीं से
जाने हैं ।
मनीष - अच्छा। तो मीनू को दिखाओ ना , और
मीनू को वीडियो कॉल करता है ।
( मीनू फोन उठाती है। )
मीनू- नमस्ते मम्मी ।
मनीष - ओए मम्मी की बेटी , मनीष बोल रहा हूँ।
मीनू- तू क्या कर रहा है ।
मनीष - वो छोड़, तेरे काम की बात सुन मम्मी
तेरे लिए कुछ लेने आई हैं इनसे बात कर ।
( और मम्मी को फोन दे देता है। फिर बाहर आ नेहा को मैसेज करता है । )
हाय
मम्मी के साथ शॉपिंग के लिए आया हूँ।
बोर हो रहा हूँ।
क्या हुआ ????
( नेहा देखती है , मनीष के मैसेज हैं पर बिना पढ़े ही छोड़ देती है। और फिर आँख बंद कुछ खुद से बात करती है। )
चोट से ज्यादा गहरी होती है
शब्दों की मार
फिर भी हर बार अधूरी होती है
जज़्बातों की वो बात
जो शब्दों में कही जाती है
दिल से दिल तक
जब बातें करी जाती हैं
तब इशारों की ही सहायता से
भाव पढ़े जाते हैं
जो कहीं आँखों में चमक
तो कहीं मोतियों से नम हो जाते हैं
तो कहीं एक मीठी मुस्कान से
हर मसले हल हो जाते हैं.....
( और उसके चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान आ जाती है। )
© nehaa
नेहा की मम्मी - आज तो जल्दी आ गई।
नेहा - हाँ, आज सुबह बच्चों का टेस्ट है । तो वो
शाम को आएंगे इसलिए अभी बस दो ही
क्लास थी।
नेहा की मम्मी - अच्छा है अब तू थोड़ा आराम
कर ले ।
नेहा - आराम कहाँ , (कॉपी दिखाते हुए ) कितने
टेस्ट पेपर चेक करने के हैं । ये एग्जाम ना
और काम बढ़ा देते हैं । बाकी दिन में तो
बस पढ़ाना होता पर इस एग्जाम टाइम में
पढ़ाओ , डाउट लो ऊपर से इतने सारे टेस्ट
पेपर्स बनाओ, चेक करो काम और बढ़
जाता है।
नेहा की मम्मी - एग्जाम तक के लिए कोई टीचर
रख ले , कुछ और नहीं तो तेरे ये पेपर तो
चेक कर ही देगा।
नेहा- फ्री में नहीं करेगा , पैसे भी लेगा ।
नेहा की मम्मी - इतने कितने ले लेगा , चार- पाँच
हजार।
नेहा - तो चार - पाँच हजार ऐसे ही हैं, ऊपर से
अभी ये शादी का खर्चा । जिस तरह की
आपकी ख्वाहिशें हैं मुझे तो लगता है पूरा
बजट हिला दोगे ।
नेहा की मम्मी - कुछ नहीं हिलेगा , और शादी के
लिए ही बोल रही हूँ। अब थोड़ा वक़्त
इसके लिए भी निकालना होगा ।
नेहा - अब क्या वक़्त निकालना है । शॉपिंग का
काम पहले ही बोला था आप लोग
सम्भालोगे उसमें बहुत वक़्त जाता है । ( मम्मी कुछ बोलने लगती हैं। ) नहीं कोई
इमोशनल बात नहीं , प्लीज। आपकी रस्में
कम टाइम थोड़ी ना लेगी । वो भी तो मेरा
पूरा टाइम बिगाड़ देगी ।
नेहा की मम्मी - पागल लड़की, रस्में मेरी नहीं
तेरी हैं। चल बाकी शॉपिंग तो हम कर लेंगे ,
पर तेरी शॉपिंग तो तुझे ही करनी होगी ।
नेहा- वो भी जीतना हो सके आप कर लेना ,
बाकी बच्चों के एग्जाम के बाद का एक
दिन बता देना मैं देख लूँगी उस दिन । वैसे
भी अभी बहुत वक़्त है , पहले तारीख तो
निकलने दो ।
नेहा की मम्मी - तारीख ही तो निकल गई है , वो
जो तेरी सांस ने आज फोन किया था ना ...
नेहा- मम्मी, ऐसे क्यूँ बोल रहे हो ।
नेहा की मम्मी - कैसे ?
नेहा की मम्मी - आप ये सांस की जगह उनके
नाम से बोल लो , या फिर मनीष की मम्मी
कर के बोल लो पर ये सांस बड़ा बेकार -
सा लगता है सुनने में।
नेहा की मम्मी - इसमें बेकार क्या है, सांस है तो
सांस ही बोलेंगे।
नेहा- एक बात बताओ , आप क्या चाहते हो वो
टिपीकल वाली सांस बन कर रहे या फिर
माँ बन कर रहे ।
नेहा की मम्मी - जिस तरह से वो बात कर रही
थी , वो अपनी सांस वाली हरकत तो
छोड़ेगी नहीं। ( नेहा को भी उनके बात करने का तरीका , उनकी बात ध्यान आती है । )
पर मैं क्या हर माँ यही चाहती है कि उसे
माँ मिले ।
नेहा - उनका तो मुझे भी नहीं पता।
नेहा की मम्मी- क्या हुआ कुछ बोली क्या ?
नेहा - ऐसा तो कुछ खास नहीं , बस सांस हूँ मैं
तेरी मुझसे तो बात कर लिया कर । सबसे
पहले तुझे मुझे खुश करना पड़ेगा । कुछ
ज्यादा ही गुमान हो मानो।
नेहा की मम्मी - गुमान तो होता ही है, लड़के वाले
हैं ना । बस ये तुम लोग शहर में रहे हो
शादी ब्याह इतने देखे नहीं वरना गाँव में तो
ये कुछ ज्यादा ही बढ़ चढ़ कर होता है।
नेहा - ये आपके हरियाणा में है , मम्मी आप
पंजाबी क्यूँ नहीं थे वहाँ सब कुछ बड़ा
अच्छा है गुरुद्वारे में शादी, ना ये लहंगे
वगैरह का ताम- झाम। ऊपर से उनकी
भाषा, शब्दों में ही प्यार है और एक ये
हरियाणा वाले सूट- बूट में बाबूजी और
मुँह खोलते ही फूफा जी ।
नेहा की मम्मी - चुप कर , कुछ भी बोलती है। ( नेहा को छेड़ते हुए। ) वैसे कोई पंजाबी मुंडा
पसंद है तो वो बता दे, तेरे पापा से मैं बात
कर लूँगी।
नेहा- क्या मम्मी आप भी ।
नेहा की मम्मी - माँ और बेटी दोस्त होती हैं, कुछ
है तो तू मुझे बता सकती है।
नेहा- ओ, मेरी दोस्त ऐसा कुछ नहीं है । ऐसा
कुछ होता तो कब का बता दिया होता इस
रिश्ते की बात इतनी आगे ना बढ़ने देती ।
ये छोड़ो तारीख का क्या है देखो मैंने पहले
ही कहा था बच्चों के एग्जाम के बाद या
इनकी छुट्टियों के वक़्त रखना । कोई और
रखी है तो बदल दो ।
नेहा की मम्मी - मेरी भी सुन ले ।
नेहा - हाँ , बोलो ।
नेहा की मम्मी - सगाई की तारीख निकल वाई है
उन्होंने।
नेहा - सगाई का अलग से ।
नेहा की मम्मी - हाँ कह तो रहे हैं । ( नेहा कुछ
बोले इससे पहले ही मम्मी बोल पड़ती हैं। ) तेरे
पापा ने हाँ कर दी है , अब बस इतना बता
नवमी से पहले तेरे जिगर के टुकड़े बच्चों के
एग्जाम खत्म हो जाएंगे?
नेहा - क्या नवमी, मतलब ये इस महीने की
नवमी। ( कैलेंडर में देखते हुए ।) मतलब इस
महीने की 25 तारीख ।
नेहा की मम्मी - हाँ , इस महीने की 25 तारीख ।
नेहा - कौन सी ट्रेन पकड़ रहे हो ।
नेहा की मम्मी - बच्चों के एग्जाम खत्म हो जाएंगे
या नहीं ।
नेहा - वो तो 24 को हो जाएंगे।
नेहा की मम्मी - बस फिर एक बार पंडित जी से
और पूछ लेते हैं , अगर मुहूर्त सही हुआ तो
यही फाइनल।
( इतने में गौरव उठ जाता है , और कहता है। )
गौरव - क्या बात है , पढ़ाने के साथ अब तूने
मुहूर्त भी निकालने शुरू कर दिए।
नेहा - काश निकाल पाती, तो सबसे पहले तेरी
कसरत का मुहूर्त निकालती। तोंदू राम
कहीं का ।
गौरव - ( पेट की तरफ देखते हुए। ) ओए, तोंद
कह इंसलट ना कर इसकी । तुझे पता भी
है कितनी मेहनत लगती है अपनी सेहत
बनाने में।
नेहा - सेहत, पूरी साइंस भूल गया क्या तू
कम्प्यूटर करते- करते।
नेहा की मम्मी - तुम दोनों फिर कुत्ता- बिल्ली की
तरह लड़ने लगे । और नेहा तुझे अब नहीं
चेक करनी अपनी कॉपी ।
गौरव - नहीं मुहूर्त निकालेगी।
नेहा - मम्मी इसको चुप कराओ।
( और कॉपी ले अपने कमरे में जाने लगती है। )
गौरव - ओए सुन, ( मम्मी उसे चुप रहने को कहती हैं। )
नेहा की मम्मी - क्यूँ तंग कर रहा है उसे ।
गौरव - मम्मी एक मिनट रुको ना । ( और थोड़ा ज़ोर से बोलता है। ) तू ये कसरत वाला मुहूर्त तेरे
मियां जी का निकाल दे , थोड़ी तोंद तो
उनके भी है।
( नेहा की मम्मी और गौरव दोनों हँसते हैं। )
नेहा की मम्मी - चुप कर , ऐसे कौन बोलता है।
गौरव - अब है तो है , ( नेहा के कमरे की तरफ देखते हुए। ) लगता है सुना नहीं, मैसेज करना
पड़ेगा।
( नेहा की मम्मी गौरव के हाथ से फोन लेते हुए। )
नेहा की मम्मी - कोई जरूरत नहीं है , उसे सताने
की ।
गौरव - फोन तो दे दो ।
( और बस दोनों फोन लेने देने में लग जाते हैं। )
( अन्दर नेहा गौरव की बात सुन कहती है। )
नेहा - ( अपने आप से ) सही बात है, तोंद तो
उनकी भी है ज्यादा नहीं पर है तो सही । ( तभी ज्योति आ जाती है । नेहा चुप हो जाती है
दोनों में कुछ बात नहीं होती बस एक पल
के नजरे मिलती हैं, नेहा देखती रहती है पर
ज्योति मुँह फ़ेर चली जाती है।
नेहा - ( अपने आप से । ) पता नहीं क्या बिगाड़
दिया मैंने तेरा । हमेशा की तरह जो तुझे
पसंद नहीं वही तो है मेरे पास फिर
नाराजगी किस बात की ।
( तभी नेहा की मम्मी आ जाती हैं, और नेहा की बात सुन कहती हैं। )
नेहा की मम्मी - वो शायद तुझ से नहीं, खुद से
नाराज है। शायद अब उसे लग रहा हो कि
ये रिश्ता सही था उसके लिए।
नेहा - तो अभी उसकी ....
नेहा की मम्मी - चुप कर , कुछ भी उल्टा - सीधा
ना बोला कर । शब्दों के बड़े माइने होते हैं
जिंदगी में इन्हें ऐसे ही मत खर्च किया कर ।
नेहा- क्या बाद है सायरी...
नेहा की मम्मी- कोई सायरी वायरी नहीं। मैं
शीला आंटी के साथ पंडित जी के जा रही
हूँ। गौरव भी जाएगा तो चाबी ले ली है
लॉक लगा के जाना।
नेहा - इतनी जल्दी क्या है।
नेहा के मम्मी - फिर अगली तारीख तेरे नए सेशन
में निकली तो ।
नेहा - अरे तो कल परसों चले जाना ।
नेहा की मम्मी - अब इन पैरों की वज़ह से अकेले
जा नहीं सकती । ( नेहा की मम्मी के दोनों
का ऑपरेशन हुआ है, और एक पैर में तार डला हुआ है इसलिए अकेले नहीं भेजते । ) अब कोई
साथ जाएगा तो उसके हिसाब से भी
देखना पड़ेगा।
नेहा - हम्म ।
( नेहा की मम्मी चली जाती हैं, और नेहा कॉपी चेक में लग जाती हैं। )
( उधर मनीष की मम्मी मनीष के साथ मार्केट आई हुई होती हैं। मनीष को कपड़े दिखा रही होती हैं , पर मनीष का उसमें कोई ध्यान नहीं होता । )
मनीष की मम्मी - हाँ, अभी नेहा के लिए शॉपिंग
कर रही होती तो पूरा ध्यान होता ।
मनीष - तो ये किस के लिए कर रहे हो ।
मनीष की मम्मी - मीनू की , उसके भी तो यहीं से
जाने हैं ।
मनीष - अच्छा। तो मीनू को दिखाओ ना , और
मीनू को वीडियो कॉल करता है ।
( मीनू फोन उठाती है। )
मीनू- नमस्ते मम्मी ।
मनीष - ओए मम्मी की बेटी , मनीष बोल रहा हूँ।
मीनू- तू क्या कर रहा है ।
मनीष - वो छोड़, तेरे काम की बात सुन मम्मी
तेरे लिए कुछ लेने आई हैं इनसे बात कर ।
( और मम्मी को फोन दे देता है। फिर बाहर आ नेहा को मैसेज करता है । )
हाय
मम्मी के साथ शॉपिंग के लिए आया हूँ।
बोर हो रहा हूँ।
क्या हुआ ????
( नेहा देखती है , मनीष के मैसेज हैं पर बिना पढ़े ही छोड़ देती है। और फिर आँख बंद कुछ खुद से बात करती है। )
चोट से ज्यादा गहरी होती है
शब्दों की मार
फिर भी हर बार अधूरी होती है
जज़्बातों की वो बात
जो शब्दों में कही जाती है
दिल से दिल तक
जब बातें करी जाती हैं
तब इशारों की ही सहायता से
भाव पढ़े जाते हैं
जो कहीं आँखों में चमक
तो कहीं मोतियों से नम हो जाते हैं
तो कहीं एक मीठी मुस्कान से
हर मसले हल हो जाते हैं.....
( और उसके चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान आ जाती है। )
© nehaa