शिक्षक की सीख
#भूलेपाठ
बात उन दिनों की है जब मैं 5th कक्षा में था तब मेरे एक शिक्षक थे जो मुझे अक्सर समझाया करते थे,कि
मैं हर बात को सीरियसली नहीं लिया करता था हर बात को मैं यूं ही हंस कर टाल दिया करता था, हालाकि मैं पढ़ाई में तो होशियार था मगर किसी की भी बात को मैं गंभीरता से नहीं लिया करता था किसी
भी काम में मेरा मन ज्यादा दिन नहीं लगता था और मैं उस काम को छोड़ देता था, शायद इसीलिए मेरे शिक्षक मुझे समझाते रहते थे...
बात उन दिनों की है जब मैं 5th कक्षा में था तब मेरे एक शिक्षक थे जो मुझे अक्सर समझाया करते थे,कि
मैं हर बात को सीरियसली नहीं लिया करता था हर बात को मैं यूं ही हंस कर टाल दिया करता था, हालाकि मैं पढ़ाई में तो होशियार था मगर किसी की भी बात को मैं गंभीरता से नहीं लिया करता था किसी
भी काम में मेरा मन ज्यादा दिन नहीं लगता था और मैं उस काम को छोड़ देता था, शायद इसीलिए मेरे शिक्षक मुझे समझाते रहते थे...