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dreams come true❤️ part-3
वीर प्रिया की मुलाकात बेहतरीन ही नहीं बल्कि एक बहुत प्यारे से बन्धन की शुरुआत थी।इनका रिश्ता औरों की तरह बिल्कुल भी न था।इस रिश्ते में वीर और प्रिया दोनों को ही एक विशुद्ध प्रेम की खुशी मिल रही थी।ऐसा प्रेम न सिर्फ़ प्रेम समेटे हुए था ,,,इस रिश्ते में दोनों एक दूसरे के अच्छे और सच्चे प्रेमी के अलावा अच्छे मित्र और प्यारे से हमसफ़र बन गए थे।
वीर ने उस मुलाकात में प्रिया से ढेर सारी बातें की।उनकी पहली मुलाकात ज़िंदगी में आने वाले सुखद अनुभव को महसूस कर रही थी।वीर ने प्रिया से बड़े ही मनमोहक अंदाज़ में कहा कि प्रिया तुम एक मित्र, पत्नी और माँ की तरह मेरी ज़िंदगी में मेरा साथ देना।ताकी कोई बात जो मैं तुमसे नहीं कह सकता,, तुम्हें ही मित्र समझ कर तुमसे कहूँगा।इससे ये होगा कि मुझे तुममें ही सारे रिश्ते मिल जायँगे।मुझे किसी और कि ज़रूरत ही नहीं।
इतने प्यारी बातें सुनकर प्रिया ने भी कहा कि आप भी मेरी ज़िंदगी में बस ऐसे ही रहना।
कभी मन हल्का करने के लिए मुझे आपके अलावा किसी और कि ज़रूरत न पड़े।
दोनों के विचार और प्यार बिल्कुल एक जैसे थे।दोनों ने एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा वक्त गुज़ारा।
उस मुलाकात के दौरान प्रिया ने वीर के प्रेम की गहराई को जाना।वक़्त के साथ वीर का प्यार बढ़ता गया और प्रिया का थोड़ा और ज़्यादा।
जिस रोज़ प्रिया भगवान से वीर के लिये हर बात पे काश !का ज़िक्र करते हुए ख्वाहिश कर रही थी।लगता है जैसे उस रोज भगवान ने भी हर बात पे "तथास्तु" बोल रखा था।
प्रिया ने सोचा था काश ! वीर मेरा हो.....तो बता दूं कि वक़्त गुज़रता गया पर वीर का प्यार दिन ब दिन बढ़ता गया।
उसकी ज़िंदगी मे बस एक ही नाम "प्रिया"।
दूसरी बात प्रिया ने कहा "काश ! इसपे सिर्फ मेरा हक हो। वो भी कुछ यूं हुआ कि वीर ने एक शाम ये भी कहा कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।ताकि मैं सिर्फ तुम्हारा और तुम मेरी रहो।
रही बात इज़हार की ,,,वो हर रोज़ वीर करता ही था।
जितना प्रिया डरती थी वीर को खोने से उझसे भी कहीं ज़्यादा वीर डरता था।एक ऐसा प्रेम जो अधूरा ख़्वाब से था,,पर मुकम्मल हो लाजवाब हो गया।।जिसे सोचा भी न था आज वो मेरे सर का ताज हो गया।।वक़्त के साथ प्रेम,भरोसा,रिश्ता मज़बूत हो गया।ये सिलसिला चलते चलते इक रोज़ वीर प्रिया का प्यार वैवाहिक जीवन मे बंध गया।
"प्रेम:- जो सुकून दे,,वो प्रेम है।जो बिन बोले मन की बात समझ ले,वो प्रेम है।जो मुस्कुराहट के पीछे कस दर्द पढ़ ले ,वो प्रेम है, प्रेम आदि है, अनंत है, प्रेम पूजा है, समर्पण है।।इसलिए अपने जज़्बातों को किसी के वक़्त गुज़ारने का ज़रिया नहीं बल्कि किसी ख़ास की ज़िंदगी का हिस्सा बनाये।
आशा करती हूँ मेरी ये कहानी आप सभी को पसन्द आई होगी।

आप सभी से share करना चाहूंगी ।प्रिया as me😉🙋thank you so much
if u like my stories please follow me nd we can support each other,☺️




© ƧӇƖƊƊƛƬ