जीवन की परिभाषा संबंधित है सुख और दुःख के पलों से
अश्रु से क्या मिलता है सब कहते हैं मन को शांति और दिल हल्का होता है और अकेले सुकून मिलता है
पर मेरे हिसाब से मुसीबत में धैर्य रखने से जीवन में शांति आती है
और मन की शांति प्रकृति के सौंदर्य में है
सुकून नदियों के किनारों पर हैं
सुकून मां के फटकार और उनकी दुलार में है
फिर दुसरो के लिए अश्रु क्या ही बहाना
तो क्या हुआ भगवान ने मुझे सबकुछ नहीं दिया पर उन्होंने मुझे तो मुझे दिया है
तुम खुद अपने अंदर झांककर तो देखो उन्होंने मुझे पूरा इतिहास दिया है तो फिर क्यों गीला करते हो अपनी आंखों को उन्होंने इन्हीं आंखों में पूरा संसार बसाया है
पता है ज़िन्दगी खेल है बेशक तुम इसे अपनी मर्जी से खेलों पर याद रखना जिंदगी की डोर हमेशा ऊपर वाले के हाथ में होती है
वह चाहे तो हमें बना सकता है और चाहें तो हमें गिरा सकता है ये तुम्हारे कर्मो पर निर्भर करता है कि तुम क्या करते हो जैसा बोओगे वैसा ही पाओगे अगर पानी के भांति शीतल रहोगे तो तुम्हें शीतलता मिलेगी
अगर करेले की तरह करवा रहोगे तो नापसंद किये जाओगे प्रकृति की तरह जीवन की भी ये प्रवृत्ति होती है कि ये हमेशा तुम्हें सुख नहीं देगा पर ये उतना दुःख भी नहीं देगा जिससे कि तुम एकदम टुट जाओ
तुम हार जाते हो ये तुम्हारी मानसिकता है जबकि रास्ते बहुत सारी खुले होते हैं मंजिल को पाने में बस हम उस रास्ते को ढूंढने का नजरिया भूल जाते हैं ढूंढो तो ईश्वर भी पास मिल जाते हैं ये तो बस रास्ते हैं तुम कोशिश तो करो तुम चाहो तो जमीन से आसमान छू सकते हो।
p.....
पर मेरे हिसाब से मुसीबत में धैर्य रखने से जीवन में शांति आती है
और मन की शांति प्रकृति के सौंदर्य में है
सुकून नदियों के किनारों पर हैं
सुकून मां के फटकार और उनकी दुलार में है
फिर दुसरो के लिए अश्रु क्या ही बहाना
तो क्या हुआ भगवान ने मुझे सबकुछ नहीं दिया पर उन्होंने मुझे तो मुझे दिया है
तुम खुद अपने अंदर झांककर तो देखो उन्होंने मुझे पूरा इतिहास दिया है तो फिर क्यों गीला करते हो अपनी आंखों को उन्होंने इन्हीं आंखों में पूरा संसार बसाया है
पता है ज़िन्दगी खेल है बेशक तुम इसे अपनी मर्जी से खेलों पर याद रखना जिंदगी की डोर हमेशा ऊपर वाले के हाथ में होती है
वह चाहे तो हमें बना सकता है और चाहें तो हमें गिरा सकता है ये तुम्हारे कर्मो पर निर्भर करता है कि तुम क्या करते हो जैसा बोओगे वैसा ही पाओगे अगर पानी के भांति शीतल रहोगे तो तुम्हें शीतलता मिलेगी
अगर करेले की तरह करवा रहोगे तो नापसंद किये जाओगे प्रकृति की तरह जीवन की भी ये प्रवृत्ति होती है कि ये हमेशा तुम्हें सुख नहीं देगा पर ये उतना दुःख भी नहीं देगा जिससे कि तुम एकदम टुट जाओ
तुम हार जाते हो ये तुम्हारी मानसिकता है जबकि रास्ते बहुत सारी खुले होते हैं मंजिल को पाने में बस हम उस रास्ते को ढूंढने का नजरिया भूल जाते हैं ढूंढो तो ईश्वर भी पास मिल जाते हैं ये तो बस रास्ते हैं तुम कोशिश तो करो तुम चाहो तो जमीन से आसमान छू सकते हो।
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