उसका वो शहरी लिबास ❤ (पार्ट -२ )
गौरी की माँ का नाम अवंतिका है
ट्रेन के इंतज़ार में बैठी हुई अवंतिका और बेटी गौरी बोलते हैं......
कहाँ रह गई हमारी गाड़ी जाने कब हम चलेंगे यहाँ से दूर
(अवंतिका सोचते हुए )
माँ और गौरी जहाँ बैठे थे वहाँ अचानक दोनों को
आती हुई परछाई दिखाई दी अंधेरा हो गया था......
अवंतिका (मां) : ये कौन आ रहा है....????
गौरी : माँ..... लगता हमारी ट्रेन आने वाली है
माँ : हाँ बच्चा ❤
धीरे धीरे वो परछाई पास आती हुई नज़र आ रही थी,
जैसे ही परछाई अंधेरे से निकल कर सामने आई,
अवंतिका उसको देख खो ही गई,
गौरी : माँ..... ये कौन है?????
माँ : उस परछाई को देखकर जैसे उसके पुराने ज़ख़्म पुराने दर्द फिरसे हरे हो गए हों,
वही शहरी लिबास वही कद वही काठी,
वही नज़रें वही लेहजा.........
जैसे उसे अंदर से तोड़ रहा हो,
गौरी : माँ...... माँ हिलाते हुए बोली माँ देखो हमारी ट्रेन
आ गई,
चलो चलो जल्दी समान भी उठाना है माँ चलो,
अवंतिका : हाँ हाँ बेटा चलो चलो जल्दी हाँ!!!!
अपने मन में बोलते हुए....,
काश तुम फिर दोबारा मिल जाओ
नये किरदार की एंट्री होती है जो अवंतिका का पहला प्यार था जिसका नाम था रोहन ❤
........
अवंतिका ( माँ) : कहते हैं इंसान जहाँ भी रहे कड़वी बातें और यादें कभी पीछा नहीं छोड़ सकती!!!! (मन में ही खुद से बात करती हुई)
ट्रेन में अपना सहेजते हुए सीट नंबर चेक करती है
हाँ..... चलो 78B हमारा है 79B गौरी का है चलो
अब आराम किया जा सकता है!!!!!
गौरी : माँ मुझे प्यास लगी है पानी दो न
अवंतिका (माँ) : हाँ बेटा ले.....
पानी की बोतल घर पर ही छूट जाती है,
अरे बेटा पानी की बोतल तो घर छूट गई तु यहीं
बैठना गौरी कहीं जाना नहीं हाँ ........
मैं बस अभी तेरे लिए पानी की बोतल लेकर आती हूँ!
गौरी : ठीक है माँ आप जाओ!
अवंतिका : जल्दी जल्दी जाती हुई अवंतिका नज़रें नीचे के तरफ तेजी से चलते हुए रोहन से फिर टकरा जाती है!
अवंतिका और रोहन की तेज टक्कर हो जाती है दोनों के माथे पर जोर लगती है...
अवंतिका : अरे अरे...... मुझे माफ कर दीजिये आपको आपको लगी तो नहीं
आप ठीक हैं???
रोहन : गुस्से में मैं ठीक हूँ आगे से ध्यान से चलियेगा उपर देखकर ताकि दूसरों को घायल न करें! इतना केहकर रोहन वहाँ से चला गया और अवंतिका पानी लेने चली गई|
गौरी : ट्रेन चलने वाली है माँ कहाँ रह गई???
अवंतिका : लो बेटा पानी और उसके साथ दो तीन समान और लेकर आ गई सफर में खाने के लिए!
continue with part 3❤
© behke_alfaaz💕
ट्रेन के इंतज़ार में बैठी हुई अवंतिका और बेटी गौरी बोलते हैं......
कहाँ रह गई हमारी गाड़ी जाने कब हम चलेंगे यहाँ से दूर
(अवंतिका सोचते हुए )
माँ और गौरी जहाँ बैठे थे वहाँ अचानक दोनों को
आती हुई परछाई दिखाई दी अंधेरा हो गया था......
अवंतिका (मां) : ये कौन आ रहा है....????
गौरी : माँ..... लगता हमारी ट्रेन आने वाली है
माँ : हाँ बच्चा ❤
धीरे धीरे वो परछाई पास आती हुई नज़र आ रही थी,
जैसे ही परछाई अंधेरे से निकल कर सामने आई,
अवंतिका उसको देख खो ही गई,
गौरी : माँ..... ये कौन है?????
माँ : उस परछाई को देखकर जैसे उसके पुराने ज़ख़्म पुराने दर्द फिरसे हरे हो गए हों,
वही शहरी लिबास वही कद वही काठी,
वही नज़रें वही लेहजा.........
जैसे उसे अंदर से तोड़ रहा हो,
गौरी : माँ...... माँ हिलाते हुए बोली माँ देखो हमारी ट्रेन
आ गई,
चलो चलो जल्दी समान भी उठाना है माँ चलो,
अवंतिका : हाँ हाँ बेटा चलो चलो जल्दी हाँ!!!!
अपने मन में बोलते हुए....,
काश तुम फिर दोबारा मिल जाओ
नये किरदार की एंट्री होती है जो अवंतिका का पहला प्यार था जिसका नाम था रोहन ❤
........
अवंतिका ( माँ) : कहते हैं इंसान जहाँ भी रहे कड़वी बातें और यादें कभी पीछा नहीं छोड़ सकती!!!! (मन में ही खुद से बात करती हुई)
ट्रेन में अपना सहेजते हुए सीट नंबर चेक करती है
हाँ..... चलो 78B हमारा है 79B गौरी का है चलो
अब आराम किया जा सकता है!!!!!
गौरी : माँ मुझे प्यास लगी है पानी दो न
अवंतिका (माँ) : हाँ बेटा ले.....
पानी की बोतल घर पर ही छूट जाती है,
अरे बेटा पानी की बोतल तो घर छूट गई तु यहीं
बैठना गौरी कहीं जाना नहीं हाँ ........
मैं बस अभी तेरे लिए पानी की बोतल लेकर आती हूँ!
गौरी : ठीक है माँ आप जाओ!
अवंतिका : जल्दी जल्दी जाती हुई अवंतिका नज़रें नीचे के तरफ तेजी से चलते हुए रोहन से फिर टकरा जाती है!
अवंतिका और रोहन की तेज टक्कर हो जाती है दोनों के माथे पर जोर लगती है...
अवंतिका : अरे अरे...... मुझे माफ कर दीजिये आपको आपको लगी तो नहीं
आप ठीक हैं???
रोहन : गुस्से में मैं ठीक हूँ आगे से ध्यान से चलियेगा उपर देखकर ताकि दूसरों को घायल न करें! इतना केहकर रोहन वहाँ से चला गया और अवंतिका पानी लेने चली गई|
गौरी : ट्रेन चलने वाली है माँ कहाँ रह गई???
अवंतिका : लो बेटा पानी और उसके साथ दो तीन समान और लेकर आ गई सफर में खाने के लिए!
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