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मीरा का प्रेम , कृष्ण के लिए भाग 1
अठखेलियां करके ,, ओ कान्हा,, यू न कर परेशान तू,,,,
मेरा प्यार तू,,मेरा मन तू,मेरे आन का सम्मान तू,,,,,,
तेरा नाम लेके ,तो मुझे ,मिल रहा ये जहा,,,
वरना होके तुमसे जुदा,जाने घूमे थे ,हम कहा,,,
तेरे प्रीत का बंधन सदा,,देता है ,, मुझको नचा,,
तुझसे जुड़ा,मेरा आन तू,,
मेरा बंधु तू,, तू ही सखा,मेरा प्यार तू,
मेरा मान तू,,मेरे आन का सम्मान तू ,,


अठखेलियां करके, ओ कान्हा , यू न कर गुमराह तू,,,,,
यमुना में तेरी छवि, मधुवन में भी तेरी हसी,,
तेरा मोह जाल है बुरा ,,जाने न कैसे मैं फसी,,,
तेरी बशूरी की धुन सदा,
कर देती है , मुझको गुमा,,
मेरा ग्वाला तू,मेरा प्यारा तू,,पूरे ब्रज का लाला तू,,
मेरे आन का ,सम्मान तू !

अठखेलियां करके , ओ कान्हा, यू न कर हैरान तू,,,
मैने माना है तुझे अपना ,,है मेरी ये प्रार्थना,,
कर ले मुझको तू विलीन,या कर दे अपने के लीन ,,
तेरी ये रासलीला ,, ओ छलिए सदा,
इस पावन भूमि पर भरा,,
मेरा कान्हा तू,, मेरा प्यार तू,मेरे होठों की मुस्कान तू,,
मेरे आन का सम्मान तू,,,,,

अठखेलियां करके ओ कान्हा, यू न कर बदनाम तू,,,
तेरी प्रेमिका राधा हूं मैं ,,,तेरे नाम के आगे हु मै,
मुझको पता है , नेत्र तेरे , ढूढते मुझे हो सांझ सवेरे ,
छोड़ कर जाएगा तू,करके बेरंग ज़िंदगी ,,
तब याद आएगा तुझे ,मुझ पे को बीती थी कभी ,,
मेरे मेंहदी का रंग सदा,,
तेरे नाम का ही लगा,,
मेरा देव तू, गोविंद तू,मेरे प्रेम की बगिया का ,सिर्फ माली तू,,
श्रृंगार का गहना है तू,,मेरे आन का सम्मान तू,,
अठखेलियां करके ओ कान्हा ,, यू न कर परेशान तू !

अर्पित है कृष्ण के चरणों में ✨

© @खामोश अल्फाज़ ©A.k