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मदद
उस समय कि बात है जब श्रेणु गांव से 11 वी कक्षा की पढ़ाई के लिए शहर आई थी। श्रेणु रोज स्कूल छूटने के बाद शाम के समय 11 वी कक्षा की कोचिंग जाती थी। एक दिन उसकी कोचिंग देर से छूटी काफ़ी देर हो गई थी उसे घर पहुंचने में। वो ये सोच सोच कर डर रही थी की जाते–जाते ज्यादा देर ना हो जाएं क्योंकि उसे रात में शहर में अकेले घूमने फिरने में डर लगता था। श्रेणु लंबे लंबे क़दम बड़ा कर चलने लगी। तभी पीछे से एक स्कूटर वाली मैडम ने पीछे से आवाज़ दी, मैडम ने कहां “ बेटा कहा जाना है मैं आगे तक छोड़ दूं ” तभी श्रेणु सोच में पड़ गई फिर धीरे से कहा “हां ”फिर मैडम ने चलते चलते श्रेणु को पूछा “क्यों देरी हो गई बेटा घर जाने मे ” श्रेणु ने जवाब दिया “वो आज मेरी कोचिंग देरी से छूटी " फिर मैडम ने कहा “ ओ अच्छा अच्छा ” बात करते करते श्रेणु का डर भाग गया । बातों बातों में श्रेणु का स्टॉप आ गया श्रेणु उतर गई फिर श्रेणु ने मैडम से कहा “ थैंक्यू ” मैडम ने एक प्यारी सी स्माइल दी और वो आगे चली गई। तभी श्रेणु के मन में बात आई कि हर किसी को गलत नहीं समझना चाहिए कोई कोई अच्छे लोग भी होते हैं जो मदद करते हैं यह सोच कर वो खुश होने लगी। और मन में कहने लगी “अगर दूसरो की मदद करते हो तो दूसरे भी आपकी मदद करेंगे”और वो बिना डरे घर पहुंच गई।।
© msrj