...

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मृत्यु का शंखनाद
शोर और शोर के बीच गहरा पसरा यह सन्नाटा.. ऐसा सन्नाटा जो मेरे अंतर्मन में बढ़ता जा रहा है। मुझे अब चारों ओर अंधेरा नज़र आ रहा है। नज़र आ रहा है राख का उड़ना, लोगों की चीख, और उस चीख को चीरती हुई धीमी होती मेरे हृदय की गति। यूँ लगता है जैसे हर हिचकी में मेरी देह शीतल हो रही है। मैं मृत्यु का शंखनाद सुन रही हूँ.. मेरी ही मृत्यु का।
मैं आईने में देखती हूँ तो मुझे मेरी सूरत नहीं दिखती.. श्मशान दिखता है।
एक ऐसा...