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विवाह का रिश्ता
शादी के 40 साल बाद आज उन्होंने बातों बातों में किसी बात से नाराज़ होकर सब के सामने कहा की, " तुमने आज तक किया ही क्या है ? सिर्फ घर पे खाना बनाना और बच्चो को संभालना और वैसे भी आज कल बच्चे भी तुम्हारी बात कहां सुनते है ? वो अपने मन की ही तो करते है, इतने सालो में तुमने उनको कुछ नहीं सिखाया, तभी इतने बिगड़ गए है दोनों बच्चे।

“अपने पति की ऐसी बात सुनकर आज पूरी रात स्वर्णा को नींद नहीं आई, स्वर्णा सोचती रही, रोती रहीं, की " सच में मैंने आज तक किया ही क्या है ? अगर मैंने आज तक इस घर के लिए सच में कुछ नहीं किया, तो अब मेरा यहाँ रहने का कोई मतलब नहीं। कहाँ जाना है पता नहीं, मगर बस, अब और नहीं। ”

ये सोचते हुए, सुनीता ने अपने पति केवल को एक चिठ्ठी लिखी, उसमें उसने लिखा था, कि
" मैंने आज पूरी रात सोचा कि, तुम शायद सही कह रहें थे। आज तक मैंने किया ही क्या है ? कौन हूँ मैं ? क्या है मेरी पहचान ? चाहती थी मैं आसमान में उड़ना, मगर उड़ने से पहले ही मेरे पंख काट दिए गए। सपना देखने से पहले ही सपना तोड़ दिया गया। बाबा ने कहा, "शादी की उम्र बीती जा रही है, मुझसे पूछे बिना ही मेरी शादी...