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प्रेमयात्रा....♾️
जो मतलब से है,जिसका कोई कारण है, वो निश्चित है, वो समय से बंधा है.. उसका अंत निश्चित है क्योंकि कारण के समाप्त होते ही उसका नष्ट हो जाना निश्चित है उसकी समाप्ति हो जायेगी, किन्तु जिसका कोई कारण नहीं, वजह नहीं उसका आरंभ सरल नहीं होता लेकिन यदि एक बार उत्पति हो गई फिर अंत असंभव है,,समाप्ति अनिश्चित है, जिसका कोई कारण नहीं वो कहां कभी खत्म होगा,और आखिर वो क्यों खत्म होगा क्योंकि उसका कोई उद्देश्य नहीं था ।
और कुछ ऐसा ही होता है प्रेम,प्रेम की ऐसी प्रवृत्ति ही उसको पवित्र, सरल,और सम्मान योग्य बनाती है उसका उद्देश्य सदैव और अधिक प्रतिदिन बढ़ते जाना होता है, अपने प्रेमी को सर्वशक्तिमान, विशेष और हमेशा पूर्ण करने की लालसा होती है जो उद्देश्य पवित्र भी है इसलिए ये कभी समाप्त नहीं होता बढ़ता जाता है प्रतिपल।
प्रेम पवित्र है गीता की तरह इसका मतलब सिर्फ़ ये नहीं है कि प्रेम एक पवित्र भाव है बल्कि ये हमें ज्ञानी बनाता...