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इत्तेफ़ाक...✍️ chapter–1
पहाड़ी इलाके का एक बेहद छोटा सा गांव जिसमें गिनती के कुछ दो– चार घर ही थे ।और दूर दूर तक फैली हुई वह घाटियां और उसमें हरा भरा मैदान हर सुबह और शाम को एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता था।
वही प्रकृति के इस बेशकीमती वातावरण में एक लड़का जिसका नाम डेनियल था अपने अंकल जॉर्ज के साथ वहां पर रहता था।
डेनियल ने एक दुर्घटना के चलते अपने मां-बाप को बचपन में ही खो दिया था जब वह बहुत छोटा था तभी से उसके अंकल जॉर्ज ने उसकी देखरेख की।
डेनियल अब 20 वर्ष का हो चुका था। और वक्त के साथ थोड़ी बहुत समझ भी उसके अंदर आ गई थी। इसीलिए वह दिन भर कड़ी मेहनत करता था और अपने अंकल जॉर्ज की काम में सहायता करता था। उन्होंने कुछ जानवरों को पाल रखा था जैसे भेड़, बकरियां और गाय।
तो डेनियल का प्रतिदिन का काम यह था कि वह उन जानवरों को लेकर के ऊपर पहाड़ियों की ओर उन्हें चराने के लिए जाया करता था।
डेनियल को अलग-अलग जगह पर घूमना अलग-अलग चीजों के बारे में जानना और समझना बहुत पसंद था। इसलिए वह प्रतिदिन उन जानवरों को लेकर के अलग-अलग जगह पर पहाड़ियों पर जाया करता था।
और इधर अंकल जॉर्ज घर के ही पास में थोड़ी बहुत फसलें और अनाज उगाने के लिए उन खेतों पर काम करते थे जिससे कि उनको खाने के लिए सालों तक के लिए राशन मिल जाता था। और वह कुछ चीजों को बाजार में बेच करके उनसे पैसे भी इकट्ठे कर लेते थे।
इस तरह से डेनियल और अंकल चार्ज अपनी जिंदगी वहां पर गुजार रहे थे।
और वहां पर बाकी सब जो लोग रहते थे अंकल जॉर्ज के साथ मिलकर रहते थे। परंतु माइकल को किसी से ज्यादा मिलना जुलना पसंद नहीं था इसलिए वह अपना ज्यादातर वक्त अकेले ही गुजरता था और वह नई नई चीजों को जानने की कोशिश करता रहता था।

हर शाम को खाली हो कर के माइकल और अंकल जॉर्ज काफी देर रात तक बैठे बातें करते रहते थे। और माइकल अंकल जॉर्ज से हमेशा कुछ न कुछ अच्छी और नई नई बातें सीखता रहता था।

1 दिन अंकल जॉर्ज ने माइकल को अपने पास बुलाया और उससे कहा–

माइकल बेटा, जैसा कि तुम्हें पता है कि हमारी फसलें बहुत अच्छी हुई है इस बार। तो मैंने हमारे खाने के लिए कुछ अनाज इकट्ठा करके घर पर रख लिया है। और कुछ अनाज मैं बाजार लेकर बेचने जा रहा हूं मुझे आने में दो-चार दिन लग जाएंगे तुम अपना ख्याल रखना। और जानवरों का भी उनके खाने-पीने का ध्यान रखना।

माइकल ने कहा – ठीक है अंकल, आप निश्चिंत होकर जाए मैं यहां पूरा ध्यान रखूंगा।

ठीक है बेटा फिर मैं चलता हूं मैं जल्दी ही आ जाऊंगा – यह कहते हुए अंकल जॉर्ज राज को बैलगाड़ी पर रखकर वहां से निकल पड़े।

डेनियल उन्हें तब तक देखता रहा जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गए और फिर वह आकर घर के बाहर ही एक किनारे बैठ गया।
और अपने जानवरों को उछलते – कूदते हुए देखने लगा...............

© Kaviraaj A.K..

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