...

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भौं 🐕 गुटूर गूं 🕊️hmmm hmm🐄एक बंदर🐒
सेल्फ स्टार्ट के इस दौर में
अचानक आई खराबी के कारण
जब गाड़ी को किक मारने की नौबत आई
तब किक मारते मारते ललाट पर चोटी मोटी नदियों का बहाव प्रतीत हुआ.. और सब अपने अपने व्यस्त जीवन से होते हुए मेरी चल रही खिट पीट को बड़ी सरलता से नजरंदाज करते रहे..
तो बड़ी ही शालीनता से गाड़ी को एक साइड कर के हम फुट पाथ पर ही बैठ गए
तब एक श्वान अपने चार पैरो पर कुछ खाने की आशंका से हमारे तरफ दाखिल हुआ और वही बैठ गया
तब एक बिस्कुट का रुख उसकी तरफ मोड़ कर हमने बड़े ही अदब से पूछा..

"की जीवन में इतनी समस्याएं क्यों है..??

तो लगभग एक sec के लिए मुझ मुरख की ओर देख कर नीचे मुंडी कर के बिस्कुट की ओर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए
और पूछ हिलाकर वो बस मुझे इतना बोल पाया

भौं 🐕...

फिर वही कुछ दूर कबूतर बैठे थे
हमने उनसे भी पूछा

का हो भाई जी ई इंसान मा इतना छल कपट काहे..??

तो ससुरा ऊ भी गुटर गूं करके दाना चुग के फड़ फड़ चल दिया...😑😑

तभी गौमाता भी वही अपना चयापचय की क्रिया करते हुए धुन में मगन थी
तो थोड़ा डिस्टर्ब करते हुए उनसे भी हमने एक प्रश्न किया की..

ही माते इस संसार में इतना अंधकार क्यों है..??

तो उसने भी हां ना के भ्रम में गर्दन हिलाते हुए इतना ही कहा की
Hmmm..hmmmm... हम्बाआआ...🐮🐄

तब हम समझ गए की
जैसे ये लोग हमका इग्नोर मारे है और अपने काम में मगन है हमका भी वैसे ही कर्म पर ही ध्यान देना है ना की व्यर्थ के चोचलो पर...🌝🌝

और फिर एक बार निरर्थक प्रयास करते हुए जब फाइनल किक मारे तो गाड़ी मेहरबान होते हुए अपने रास्ते पर चल दी..

और
जाते_जाते कुछ बंदरो को इधर से उधर करते हुए ये जाना की
जीवन में मुक्त बंदर बनना बड़ा ज़रूरी है
क्यों की हम तो मदारी वाले बंदर है जो किसी ना किसी के इशारों पर मुजरा ही कर रहे है...
नाम मात्र स्वतंत्र पर आज भी परतंत्र में वास्तव करते हुए...
और खुद को मदारी समझनेंकी एक भूल करते हुए थालिंके बैगन के भाती ना घर के ना घाट के जीवन यापन कर रहे है वो भी बड़ी बेशर्मी के साथ यथा उच्चांक पे..!!!

© A.subhash

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