...

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हम दो
जान कर भी एक दूजे से अनजान से थे हम
क्या पता था एक दूजे की जान ही बन जाएंगे हम
हमारे ग्रहों का मिलना भी एक संजोग था
शायद हम दोनों का सात फेरों का ही योग था
सारे नात रिश्तेदार साक्षी बन कर आए थे
वो सारे हमारे लिए अभिषाक्षी बन कर आए थे
ईशगण भी बारिश का प्रारूप बन कर आए थे
आशीष देने बूदों का स्वरूप लेकर आये थे
बादलों ने भी गरज़ गरज़ कर खूब धूम मचाया था
बरखा ने भी बरस बरस मनमोहक गीत सुनाया था
उस दिन का स्मरण कर हम रोज़ रोज़ मुस्कातें हैं
संग जीवन को साथ बिता कर हम आज तलक इतरातें हैं
आने वाली हर ऊँच नीच को जीवनपर्यंत निभाएंगे,
जीवन के उस अंत क्षण को साथ मिलकर बिताएंगे।

© Swati(zindagi ki boond)