यादों से तन्हा हम।।
आज हमने दुनिया की भीड़ में खुद को अकेला पाया ।।
हमारे भी अपने थे पर आज नहीं है
वो शायद हम को याद रहा
पर अपनों को ना पाया ।।
इस भीड़ में सब बेवजह है यही ख्याल हमें बार-बार क्यों आया।।
यादों से बहुत दूर चले आए थे हम शायद यादों ने फिर हमें पास बुलाए।।
वो शोर था भीड़ का या खाली कमरे से भरा सन्नाटा।।
वो अपने थे या पराए जो मुस्कुरा रहे थे बे बात पर हर जगह।।
वो यारों का साथ था दुनिया की भीड़ बराबर रह गया खाली कमरे के बराबर ।।
पीछे देखा ना आगे देखा क्यों अपनों के साथ बीते हुए हर लम्हों भुल आए हम।।
हम चलते चलते अजनबी रास्ते पर।।
।।। रह गए अकेले और तन्हा तन्हा।।
््् अकेले हम भीड़ में हर पल ््््। वृंदा
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