वह तेरी नजर थी यह मेरी नजर है मालूम नहीं किसी को हकीकत सब बेखबर है
अक्सर हम दुनिया को जैसा देखते हैं वैसी होती नहीं है मैं चारों तरफ नजर घुमा कर देख रही हूं आस-पास कोई नहीं था। एक गोदाम जैसी कोई चीज जिसके अंदर मैं थी ,जमीन पर पड़ी हुई, आशाह, बेबस,थखी हुई, तभी कहीं दूर से अबाज रही थी, डॉक्टर साहिबा को होश आ गया अरे जाओ कोई देखकर तो आओ, मैं उनकी आवाज सुनकर डर गई मैंने देखा बे चारो मेरी तरफ आ रहे थे मैं समझ नहीं पा रही थी मैं कहां हूं मुझे डर लग रहा था डर के मेरी मेरी आवाज नहीं निकल रही थी मैं उठने की कोशिश कर रही थी पर शायद मुझे बांद रखा था मेरे पैर में जंजीर बधी हुई थी, मैं भागने की कोशिश की लेकिन मैं मजबूर थी, वे पास आ चुके थे उनमें से एक बोला ,, इसको तैयार करो ,, उसने मेरी जंजीर खोली उठाकर ले जाने लगा ,,, पीठ पर लाद कर , मुझ में चलने की हिम्मत नहीं थी, एक कमरे में ले जाकर, उसने मुझे एक टेबल पर बिठा दिया , कमरे में एक छोटा सा लैंप रखा था जिसकी रोशनी हो रही थी तभी वहां पर तीन-चार लड़कियां आती हैं जिन्होंने अपने हाथ में कुछ कपड़े गहने और मेकअप की चीज पकड़ी हुई थी, उन में से...