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अलविदा
आज पूरे पंद्रा साल हो गए। सुबह उठकर हर दिन की तरह आज भी तुम्हारा ही चेहरा आंखों के सामने आया। हर दिन की ही तरह आज भी में मुस्कुराई। लेकिन आज खुशि थोड़ी ज़्यादा थी। पूरा दिन घर का काम करते करते निकल ज़रूर गया, लेकिन एक बार के लिए भी तुम्हारा खयाल मेरे दिमाग से नहीं निकला। सारा दिन मैं गुनगुनाती और उन हसीन पलों को याद करती। अब शाम होने को था। मैंने सोचा कि जल्दी से सारे काम निपटा के मैं छत पर जाऊंगी। तुम जब घर लौटकर आओगे तब एक झलक तो मिल जाएगी तुम्हारी। मेरे लिए वही काफी हैं। मैं सिंगार करने जा ही रही थी कि मुझे वो दिन याद आ गया।

उस दिन तुम्हारा जन्मदिन था। मैं तुमसे मिलने फूल लेके गई थी शाम को। सारा दिन भाग दौर करते करते समय ही नहीं मिला सजने संवरने का। मन उदास तो बहुत था और डर भी था कि कहीं तुम मेरे रूखे बाल और गंदे कपड़े देख मुझसे मुंह ना फेरलो। लेकिन मुझे आज भी याद है तुम्हारे वो दो प्यारे बोल- "बाहर से तो सुंदर कोई भी बन सकता है, लेकिन मुझे तो तुम्हारे दिल की ख़ूबसूरती से मोहब्बत हैं।" उस दिन तुमने जो फूल मेरे बालों में लगाया था, वो आज भी मैंने संभालके रखे हैं। तुम ही तो अकेले एक ऐसे इंसान थे जिसने हमेशा मेरा साथ दिया हो। मैं जब कुछ अच्छा करती तब तुम खुश हो जाते थे और गलती करने पर डांटते भी थे। डांटते भी क्यों ना? हक था तुम्हारा, और आज भी हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि आज मैं अपने सारे हक खो चुकी हूं।

सूरज ढलने वाला था अब। मैं जल्दी से छत पर चली गई, इसी उम्मीद में कि तुम्हें एक बार जी भरके देख लूंगी। आज के दिन तुम्हे देखना तो था ही ना। नहीं, सिंगार नहीं किया था मैंने, तुम्हे पसंद जो नहीं था। इतनी खुश मैं आखरी बार कब हुई थी वो मुझे भी याद नहीं। लेकिन शायद मेरी खुशी भगवान को भी नागवारा है। शाम से रात हो गई लेकिन तुम नहीं आए। और मैं छत पर अकेले बैठ तुम्हारा इंतज़ार करती रही।

पता नहीं क्यूं, लेकिन सारी पुरानी बातें याद आ रही थी मुझे। तुम्हारी वो हसीं, हमारे साथ बिताए हुए वो हसीन पल, सब आज अचानक याद आ गए। हम साथ कितने खुश थे ना? पता नहीं फिर ऐसा क्यूं हुआ हमारे साथ। "अलविदा"। एक शब्द कितनी कहानियों ख़तम कर देती है ना? सिर्फ ख़तम नहीं, शुरू भी तो करती है नई कहानियां। हमारे एक अलविदा से हमारी कहानी ख़तम ज़रूर हुई, लेकिन उसके साथ ही मेरे अकेलेपन की दास्तान भी शुरू हो गई। पता था मुझे की हम कभी साथ नहीं रह सकते। लेकिन सच कहूं तो उसका मुझे कभी डर नहीं था। मैं जानती थी की तुम मेरे हो, सिर्फ मेरे, चाहे अब हम दूर ही क्यूं ना हो। इसलिए तुम्हें खोने का डर भी कभी था नहीं। लेकिन पता नहीं क्यूं, एक शाम मेरा मन बहुत बेचैन हुआ। ऐसा लगा जैसे कि तुम मुझसे दूर जा रहे हो, बहुत दूर। उसी रात मैंने आशा को देखा, तुम्हारे साथ, तुम्हारे घर में। एक पल के लिए लगा जैसे मेरी सांसें थम सी गई। मुझे हमारी आखरी मुलाकात और तुम्हारी आखरी बात याद अयी, "भले ही हम साथ ना हो उमंग, लेकिन मैं हमेशा सिर्फ तुम्हारा रहूंगा। तुम्हारी जगह कभी कोई नहीं ले सकती।" आखिर कार वो वादा टूट ही गया।

अब जो थोड़ी बहुत बात होती थी वो भी बंद हो गई। लेकिन हर सुबह घर से निकलते समय और शाम को घर लौटते समय तुम मेरी खिड़की की ओर देखते थे। हमारी निगाहें मिलती थी, लेकिन हम ना मिल पाए।

ख़ामोश निगाहें छुपाती है
दिल से निकलती हुई आहें,
बातों को छिपाने में
अब अजनबी ये निगाहें हुई,
गुज़रे पल याद आते है
फिर भी है लब ख़ामोश,
ख़ामोश लबों से जुंझती
अजनबी वो यादें हुई,
अजनबी से बातें कर लो
वो अजनबी नहीं रहता,
बातें ना करने के बहाने से
अजनबी ये यारी हुई।

मैं तुम्हे खो तो चुकी थी, लेकिन तब भी पूरी तरह नहीं। आशा शायद सिर्फ तुम्हारे घर में रहती थी, तुम्हारे दिल में नहीं। लेकिन आज मैंने तुम्हे पूरी तरह खो दिया। अब जी के भी क्या फायदा। बहुत सारी बातें थी दिल में लेकिन सुनने वाला कोई ना था। रात को छत से उतरते वक्त मैंने तुम दोनों को देखा, उसी पेड़ के नीचे, जहां हम दोनों घंटो बैठके बातें करते थे। आज आशा तुम्हारे जीवन की उमंग बन चुकी थी पूरी तरह से। अब मेरी और ज़रूरत नहीं तुम्हे।

मैं यादों का किस्सा खोलूं
तो तुम बहुत याद आते थे
मैं गुज़रे पलों को सोचू
तो तुम बहुत याद आते थे
धीरे धीरे उम्र कट जाती है
जीवन यादों कि एक पुस्तक बन जाती है
कभी किसी की याद बहुत तरपाती है
तो कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी यूं ही कट जाती है
मैं देर रात तक जागुं
तो तुम बहुत याद आते थे
मैं देर रात तक जागुं
तो तुम बहुत याद आते थे।

आज हमारे प्यार का पंद्रा साल पूरा हुआ था। तुम्हारे लिए, ये दास्तान पंद्रवे साल में ही ख़तम हो गया। मैं भी उस अनमोल एहसास को अकेले नहीं जीना चाहती अब। लेकिन मैं तुम्हारी तरह अपना प्यार किसी और के साथ बांट भी तो नहीं पाऊंगी, और ना ही अपने प्यार को किसी और के साथ देख पाऊंगी। इसलिए मैं जा रही हूं, तुमसे बहुत दूर। तुम मुझे बहुत याद आओगे।
अलविदा संजय।।
© Gunjan