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एक किस्सा दर्द का
#TheWritingProject
दर्द से वास्ता होना कोई नई बात नहीं है और सबकी ज़िंदगी में तमाम दर्द आते–जाते ही रहते है। पर यहां दर्द कुछ प्रेम का है गलतफैमयों की शिकार दो जिंदगी। लेकिन जिससे उम्मीद बहुत हो और वो आपको ना समझे तब दुःख ज्यादा होता है। फिर भी मैं सोचती हूं कि हमे उम्मीद ना भी किसी से लगाना हो तब भी कहीं न कहीं लग ही जाती है। उसके बाद वो हमे धीरे–धीरे खोखला बनाने लगती है। क्यों किसी अपने को समझना इतना तकलीफ़ भरा होता है ?, क्यों हर उस शख्स को अपने प्रेम को साबित करना होता है, खास कर उसे जिसने सामने वाले कि सांस को भी तिल–तिल जिया हो। ऐसा कोई रिश्ता नहीं है जहां प्रेम ज्यादा होता हो वहां गलतियां और गलतफैमियां भी ना होती हो। लेकिन इसमें उस पवित्र प्रेम का क्या दोष है वो तो बस दो लोगो में पनपता है।दो प्रेमी बस उसे अनन्त वक्त तक जीना चाहते है। और फिर कुछ लोगो से ये सुख देखा नहीं जाता और इन्हीं लोगो का प्रेम में प्रवेश होता है जो उनके रिश्ते को उनसे ज्यादा समझने और समझाने लगते है। फिर ना चाहते हुए भी खुशियों का सन्तुलन बिगड़ने लगता है।
इन सबके बाद पुरानी की गई गलतियों और बातों को एक एक करके दफनाए
हुए बक्शे से निकल कर भयंकर आकलन कराया जाता है जो उन दो प्रेमियों ने आपस में एक दूसरे से पहले ही पूछताछ के बाद रफादफा कर चुके होते है। ये तो हमारे तीसरे लोग होते है जो दो लोगो के रिश्ते में हावी होने की पूरी कोशिश करते है वो लोग सुझाव देते है जैसे वो बहुत ही अव्वल प्रकार के ज्ञानी हो खैर उसमे ज्ञान कम नमक मिर्च ज्यादा छिड़कते है। ये उस वक्त दोनो प्रेमियों को कुछ समझ नहीं आता है। वो सिर्फ़ एक वजह ढूंढते है जिससे उनका टूटता रिश्ता बच जाए । वो नही समझ पाते की ये बाहरी लोग कभी सगे नहीं हो सकते फिर भी उन्हीं की बातों में बेवजह ही उलझते ही चले जाते है। मासूम सा दिल होता है उनका जिससे कुछ चंद लोग नजर लगाके निकल जाते है। वो दोनो जितना ही एक दूसरे के प्रेम में संतुलित होते है वो उतना ही असंतुलित होने लगते है। उन तीसरे शख्स के बतलाए हुए झूठ को सच मान बैठते है, अपने इतने बरसों के प्रेम को भूलकर शक का कीड़ा भर लेते है। अब वो एक दूसरे से बात तो किया करते है पर इतना दिल खोलकर कर नहीं, वो उन दबे लफ्जों में कितना कुछ लिए बैठे है किसी को नहीं पता पर इतना जरूर है की दोनो के बीच एक दर्द की दीवार ज़रूर खड़ी है जो कहीं न कहीं अब भी इन्हे बखूबी जोड़ती है। वो अपनें मन को कितना ही क्यों न सुलझा ले पर उन बाहरी बातों का क्या जो उनके दिमाग में जहर की तरह घोल दी गई है । अब रिश्तों में दरारें आ ही जाती है , उसके बाद इस रिश्ते का सर्वनाश होने लगता है और प्रेमी और प्रेमिका दोनो का हृदय गम से भर जाता है। उन दोनों में भले ही प्रेम बहुत रहा हो पर वो दूरियों में रहना शुरू कर देते है और एक दूसरे की यादों के सहारे आंखे भिगोने लगते है प्रेम ऐसा ही होता है हुआ तो उसमें शख्स बस डूबता गया और दूर चला गया तो एक ज़िंदा लाश कि तरह हो जाता है, एक दम बेजान फिर भी एक उम्मीद तब भी होती है और जिसे कहते है इंतज़ार। लेकिन सबसे महंगी वस्तु में बेशुमार होता है इंतजार उन दोनो में से जिसने भी कर लिया या उस इंतज़ार को जी लिया तब उसका प्यार जीत जाता है और जो हार गया वो ताउम्र पछताता है। कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती है वो दोनो अलग ज़रूर रहते है पर प्रेम बहुत ज़्यादा होता है वो पास नहीं होते तब भी वो दूर से एक दूसरे को छिप कर देखते है पर उन्हें अलग हुए लगभग एक साल हो चुका है और दोनो अब भी अकेले ही है। मजे कि बात ये है कि अपने गम की सिफ़ारिश किसी से नहीं करते शायद इसी को टूटकर चाहने वाला प्रेम कहते है। उड़ान भी भरने की चाहत थी उनमें तो प्रेम का गम तो पी लिया पर पारिवारिक और खुद की इच्छाओं को मारना बेहतर नहीं समझा उन्होंने तो अपनी मंजिल तय करने का फ़ैसला किया और अपने काम में जुट गए। वो दोनो अपने प्रेम की खातिर एक मिशाल थे पर जब कभी उनके पुराने दोस्त उनको मिलते और दूसरे साथी के बारे में पूछते तो उनके पास चुप्पी साधने के आलावा कोई और साधन नही होता फिर भी एक झूठी मुस्कान देकर कहते की ठीक है पर अब हम साथ नहीं रहते गम और इन नम आंखों को छुपाने के लिए मुंह फेर लेते ताकि दिल का हाल ये आसूं बयां ना कर दे। ये सब होने से दर्द होना तो तय था पर इसमें कुछ किया भी नहीं जा सकत था।
जो उनके सच्चे दोस्त होते उन्हे इस बात से बुरा लगता और जो दिखावटी होते उन्हे बिखरे को सताने में और मजा आता ।पर वो इन सब से बच भी नहीं सकते थे तो बिना बोले ही चल देते थे। पूरा दिन अपनी बनाई हुई दिनचर्या का पालन करने के बाद जब दोनो खाली बैठते तो फिर दोनो अपने बिताए हुए पलों को याद करते और आंखों में पानी और होठों से हल्की हसीं और दर्द भरे गाने लगाकर अपने ही दर्द को और गहरा करते थे प्रेम में तड़प बहुत होती है एक दूसरे को देखने और बात करनी कि पर अभी दोनो ही सही वक्त की ताक में थे।
उनको क़रीब डेढ़ साल होने ही वाला था की अब भी दोनो में उतनी ही चाहते बरकरार थी। दोनो एक दूसरे कि तस्वीरों को तब तक निहारते जब तक मन न भर जाए या उनमें से कोई याद करते करते सो ना जाए। दूरियां बहुत है पर दोनो को एक दूसरे की ख़बर पूरी रहती है... आखिर यही तो प्रेम है साथ हो या न हो पर चाहत भरपूर हो। हां आप सही पढ़ रहे है शिवि और वरुण की कहानी जो इस कहानी के मुख्य पात्र हैl शिवि इक्कीस की है और वरुण अब बाइस का और कहानी शुरू होती है कक्षा बारहवीं से परीक्षा का वक्त होता है शिवि आगे और वरुण ठीक पीछे की सीट पर होता है। वैसे पढ़ने में वो दोनो ही अच्छे होते है पर उस दिन वरुण किसी एक प्रश्न पर अटक गया और उसने शिवि से हिचकिचाते हुए कहा क्या तुमने ये प्रश्न हल कर लिया ? शिवि खुशमिजाजी लड़की थी स्वभाव में सरल और खुले विचारों वाली थी । उसने हल्की सी मुस्कान देकर सिर हिलाते हुए कहा कि हां कर लिया क्या तुम्हे मेरी मदद चाहिए , वरुण थोड़ा शरारती स्वभाव का होता है पर पढ़ने के मामले में वो थोड़ा ईमानदार होता है तो उसे पूछना अच्छा नही लगता फिर भी वो मन मसोसकर उससे इतना कहता है की हां मदद चाहिए पर तुम मुझे सिर्फ दो पंक्तियां बता दो बाकी में पूरा कर लूंगा। वो कहती है चलो ठीक है और वो उसे बता देती है अब दोनो अपनी परीक्षा पूरी करते है और स्कूल से बाहर जाने के दौरान वरुण शिवि को धन्यवाद बोलता है तो शिवि कहती कोई बात नहीं कभी मुझे जरूरत पड़ेगी तो तुम मदद कर देना । इतना कहकर वो चली जाती है वरुण उसे देखता है और मुस्कुराकर मन ही मन कहता लड़की थोड़ी अलग है पर रुचिकर है । धीरे धीरे दोनो अच्छे दोस्त बन जाते है और किसी विषय का बहाना लेकर वरुण पुस्तकालय में शिवि से पढ़ने को कहता ताकि उसके साथ वो ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजार सके शिवि भी तैयार हो जाती उसके साथ पढ़ने को । दिन बीतते रहे और उनकी दोस्ती और गहरी होती गई और वो एक दूसरे को पसंद करने लगे। मगर कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हे इन दोनो का साथ रहना और उनकी दोस्ती नहीं भाती थी उनमें से वरुण के दोस्त महेश और दुर्गेश थे और शिवि की ओर से सुकृति थी। कहने को तो शिवि की दोस्त थी पर वो उससे मन ही मन बहुत ईर्षा करती थी । लेकिन शिवि की सबसे नजदीक काजल थी और काजल जानती थी की सुकृति शिवि से जलती है इसलिए वो शिवि को आगाह करती रहती थी । इससे बच के रहा कर पर शिवि उसे दोस्त मानती थी तो वो सुकृति की बातों को गंभीरता से नहीं लेती थी। वरुण शिवि एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त है ये अब पूरी कक्षा को पता चल चुका था। जल्दी ही सबके परीक्षा के परिणाम आ गए जिसमे शिवि अव्वल थी सुकृति दूसरे स्थान पर जिस पर उसे भारी अफसोस था और हमारा वरुण तीसरे स्थान पर था । वरुण शिवि को दूर से बधाई दे रहा था और शिवि ने उसकी बधाई का जवाब एक प्यारी सी मुस्कान से दिया । महेश और दुर्गेश इस बात से वरुण से जलते थे क्योंकि वो उनसे ज्यादा वो अब शिवि के नजदीक हो गया था वो सोचते थे कि शिवि ने वरुण को उनसे अलग कर दिया है पर वरुण उनको अच्छा दोस्त मानता था उसके अंदर इन दोनो के लिए कोई बुरी भावना नही थी। महेश और दुर्गेश पर आग मे घी डालने का काम सुकृति करती थी।
उसकी बातों में आकर वो वरुण से झगड़ा कर लेते थे और बदले में शिवि को उल्टा सीधा कहते थे। जो वरुण से बर्दाश नहीं होता था इसलिए वो भी ना चाहते हुए झगड़ा कर लेता था । अगले दिन ये सब वो शिवि को बताता है तो शिवि वरुण को समझाती है की दोस्तों से गलतफैमी दूर की जाती है उनसे दूरियां नहीं बनाई जाती। तो तुम उन दोनो से बात करके देखो पहले वरुण मना करता फिर शिवि कहती की तुम करोगे ना ऐसा तो वो हां में सिर हिला देता । इन सबके बीच बोर्ड एग्जाम आने वाले थे और ये वक्त सबके लिए सबसे ज्यादा डर भरा था तो इस वक्त सब अपनी दोस्ती यारी भूलकर अपनी अपनी बोर्ड में सबसे अच्छे अंकों के दौड़ में लग गए । और आज वो दिन है जब बोर्ड की परीक्षा का पहला पेपर था वरुण अकेला था उसे अपने दोस्तो को बहुत दूर से देखा और फिर पास जाकर बोला तुम लोग पेपर अच्छे से करना। थोड़ी देर तो दोनो उसके चहरे के हाव भाव को ताकते रहे और फिर कहा भाई तू भी अपना अच्छा देना पेपर में आज उन सबने अपनी कड़वाहट एक किनारे रख दिया और अपनी कक्षा कि ओर चल दिए। शिवि और काजल और सुकृति भी अपनी
कक्षा की ओर चल दी और सुकृति मन ही मन बडबडा रही थी की भगवान मेरे अंक शिवि से बेहतर आए। धीरे धीरे परीक्षा खत्म हुए और आख़िर में आज अंतिम दिन था और वरुण और शिवि ने फैसला किया था कि वो आज के दिन जरूर मिलेंगे । वो जाने ही वाला था की पीछे से उसके दोस्तो ने आवाज लगाई और कहा भाई कहां जा रहा है बैठ तो हमारे साथ आज आखिरी दिन है ।उसने मना नही किया पर उसने शिवि का भी ज़िक्र नहीं किया कहीं उसके दोस्त उसका नाम सुनकर फिर अपनी दोस्ती न खराब कर ले इसलिए वो चुपचाप दोस्तो के साथ बैठा रहा पर उसका मन तो शिवि के पास अटका हुआ था। शिवि यहां वरूण का इंतजार कर रही थी कुछ देर बाद वरुण और उसके दोस्तों की महफिल खत्म हो जाती है और शिवि से मिलने आ जाता है । शिवि उसके आते ही पूछती है भूल गए थे क्या कब से बैठी हूं अकेली यहां जवाब में वरुण ने कहा यार दोस्तो ने रोक लिया था। शिवि उसे बैठने को कहती है और बातें करने लगी वरुण गौर से सुनता है और शिवि को प्यार से देखता रहता है
और जब वरुण बोलता है तो शिवि उसे देखकर मुस्कुराती मानो दोनो के जज्बात ये कह रहे हो की आज बस यहीं रुकते है और कहीं नही जाना। ऐसा एक दूसरे से कह नहीं पाते और ना ही अपने दबे जज्बातों को जाहिर होने देते है। अब वो दोनो एक लंबी बातों के बाद हाथ मिलाकर विदाई ले रहे होते है तभी वरुण कहता है मैं तुम्हे याद करूंगा... शिवि कहती, हूं ठीक है.........!
स्कूल खत्म होने बाद शिवि और वरुण एक दूसरे को बहुत याद करते और बस उस वक्त का इंतजार करते है जब वो फिर एक दूसरे से मिल सके।
परीक्षा के दो महीने बाद परिणाम घोषित हो जाते है जिसमे शिवि अव्वल आती है और इस बार वरुण दूसरे स्थान पर और सुकृति तीसरे स्थान पर । इस अवसर पर उन्हें इनाम वितरण के लिए स्कूल से निमंत्रण दिया जाता है । फिर क्या सभी लोग आते है उनके दोस्त वरुण और शिवि को बधाई देते है और सुकृति को कोई उतना भाव नहीं दे रहा था । इनाम वितरण के बाद वरुण और शिवि फिर मिलते है और एक जगह बैठकर अपनी बीते वक्त का किस्सा सुनाते है और आखिर में जब दोनो की बातें समाप्त हो जाती है तो शिवि वहां से जाने लगती है तब वरुण इसका हाथ पकड़ लेता है और कहता शिवि थोड़ी देर बस, और शिवि रुकती है वरुण कुछ कहना चाहता है पर कह नहीं पाता तो वो शिवि को जोर से गले लगा लेता है शिवि सब समझ जाती है पर वो कुछ भी नही कहती है और वो भी उसे गले लगा लेती है और लगभग ऐसे ही पांच मिनट तक गले लगाते है। अचानक किसी की जोर से आवाज आती है की स्कूल का गेट बंद होने वाला है जो भी है अभी जा सकता है वो लोगे सुनकर दूर हटते है और मुस्कुराकर कहते है अब चलो भी। वरुण शिवि को हाथ हिलाकर विदा करता है और शिवि भी। वो दोनों घर आ जाते है और आज जो हुआ उसे याद करते है और मन ही मन सोचते है हम अब कब मिलेंगे। वरुण के पास और शिवि के पास एक दूसरे का फोन नंबर भी नहीं था जिससे वो एक दूसरे से बात कर सके। समय बीतता गया और बैचैनी बढ़ती गई अंततः कॉलेज के दाखिला शुरू हो गया उन्हे पता नहीं था की वो एक ही कॉलेज में दाखिला ले रहे है क्योंकि शिवि ने वरुण से कहा था कि उसे नहीं पता उसके पापा उसे शहर के बाहर या यहीं पढ़ने को बोलेंगे। दोनो ही इंदौर शहर में है पर दोनो को ही खबर नहीं दोनो ने इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला ले लिया अब दोनो जब लेक्चर लेने के लिए कॉलेज में आते है तो एक ही क्लास रूम में होते है पर वरुण आगे और शिवि पीछे वाली सीट पर बैठी होती और दोनो ही बड़े ही मन से पढ़ रहे होते है क्लास पूरी होती है और ब्रेक टाइम होता है तब शिवि की नजर वरुण पर पड़ती है और वो खुश हो जाती है पर वरुण उसे नहीं देख पाता है । शिवि उसे आवाज लगाकर कहती है वरुण सुनो!
वरुण पीछे घूमता है तो शिवि होती है उसे कुछ पल के लिए अपनी आंखों में यकीन नहीं होता है इसके बाद जब उसे लगता है की ये सच है तो वो उसके पास आ जाता है और कहता शिवि तुम यहां इसी कॉलेज में वाह क्या बात है।वरुण पूछता है तुम अकेली हो क्या तुम्हारी कोई दोस्त यहां नहीं है तो शिवि बोलती है सुकृति हैं न वरुण का भाव थोड़ा बदल गया और उसने कहा काजल क्यों नहीं आई ।तभी शिवि बोलती है, हां वो दिल्ली चली गई है , वरुण ने कहा हां महेश भी मेरे साथ है और दुर्गेश घर का कारोबार संभाल रहा है। वो दोनो अब रोज मिलने लगते है और पहले की तरह सामूहिक पढ़ाई की योजना बनाकर पढ़ते है और पूरा वक्त एक दूसरे के साथ रहते ।एक साल की गंभीर पढ़ाई के साथ दोनो ने कब अपना एक साल एक दूसरे के साथ गुजर दिया पता ही नहीं चला।
वरुण ने एक दिन सोचा कि अब वो शिवि से इज़हार करेगा अपने प्यार का और वो शिवि को एक कॉफी शॉप पर बुलाता है और वो आ जाती है और आज शिवि बहुत ज्यादा प्यारी लग रही होती है शिवि कि काजल भरी आंखों को वरुण देखता ही रहता है और कॉफी पीने के बाद शिवि का हाथ जोर से पकड़ता है और शिवि से कहता मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूं, शिवि उसकी तरफ मासूमियत से देखती है और कहती है मैं भी । वरुण बहुत खुश होता है और दोनो हमेशा साथ रहने का फैसला करते है। अब कॉलेज को पता लगने में जरा भी देर नहीं लगती की वो दोनो अब साथ है । सुकृति जिसे ये जरा भी रास नहीं आया की शिवि और वरुण एक साथ रहे पर वरुण सुकृति के स्वभाव से इतना तो परिचित था की सुकृति काजल जितनी अच्छी दोस्त नहीं है वो भी सुकृति से उसे दूर रखने कि कोशिश करता है।सुकृति को वरुण की इस बात से और चिढ़ होने लगती है और वो उसके दोस्त महेश के पास जाकर फिर वहीं सब करने लगती है पर इस बार उसका ये मंत्र काम नहीं आया लेकिन वो भी हार मानने वालों में से कहा थी । वरुण और शिवि साथ में वाकई बहुत अच्छे लगते थे और एक दूसरे की हर छोटी बड़ी चीजों का ख्याल रखते थे । दूसरा साल भी खत्म होने को था तभी लकी ऐसा लड़का जो इनकी जिंदगी में आ गया था हालाकि वो भी इन्ही के साथ पढ़ता था पर पहले उससे साधारण तौर पर थोड़ी बहुत बात होती थी पर इसको अपने समूह में लाने की योजना सुकृति की थी ।सुकृति ने लकी से काफी गहरी दोस्ती बनाई और फिर सब उससे बात करने लगे फिर वो भी उनके सामूहिक दोस्तों का हिस्सा बन गया । लेकिन लकी शिवि को पसंद करने लगा था ये जानते हुए भी की वो वरुण को पसंद करती है और वो ये बात सुकृति को बता देता है । सुकृति खुश होकर कहती है अरे तो उससे बोल दो क्योंकि उसे तो वैसे ही वरुण और शिवि साथ में पसंद नहीं थे। उसने सोचा ये अच्छा मौका है दोनो को दूर करने का उसने कहा तुम उसे पा सकते हो तुम बस कोशिश मत छोड़ना ये वो सुकृति है जिसे शिवि एक अच्छा दोस्त समझती है उसे तो खबर भी नहीं कि उसकी दोस्त उसकी ही जिंदगी में तबाही करने वाली है। वो धीरे धीरे लकी को उकसा रही थी वो करने को जो सरासर गलत था वो वरुण से लकी को शिवि के आगे करने कि कोशिश करती पर इस बात से अंजान शिवि लकी से साधारण तौर पर बात कर रही थी पर वरुण को ये रास नहीं आया उसने कुछ कहा नहीं पर उसके अंदर एक हीन भावना आने लगी थी। सुकृति सभी तरफ आग लगाने का काम कर रही थी । दोनो के बीच दूरियां और झगड़े होने लगे थे और सुकृति को ये देखकर बहुत मजा आ रहा था, सुकृति बहुत बुरा कर रही थी शिवि के साथ उसकी ईर्षा की भावना इतनी बढ़ चुकी थी कि उसे अच्छा बुरा कुछ समझ ही नही आ रहा था। जैसे जैसे इनका ग्रेजुएशन समाप्त होने वाला था वैसे ही वैसे दोनो दूर हो चुके थे । शिवि वरुण के पास जाती तब वरुण उसके पीछे लकी को देख कर जल भुन जाता और उससे बिना बात किए ही चला जाता । शिवि को उसकी चुप्पी बहुत खल रही थी पर वो किसी से कुछ नहीं कहती। एक दिन सुकृति शिवि के पास आकर कहती है वरूण और तुम दोनो के बीच लड़ाइयां चल रही है क्या ? पर शिवि कुछ ना कहकर उसे टाल देती है और कुछ और बात करके वहां से चली जाती है । वहीं सुकृति लकी का इस्तेमाल उसके एहसासों को एक कठपुतली की तरह कर रही थी वो जान बूझकर लकी को शिवि के पास भेजती थी । ये कहकर की वो अकेली है तुम उसके पास जाओ वो उदास है लकी उसके कहने पर शिवि के पास चला जाता था और उसे हंसाने की कोशिश करता है वहीं वरुण को लगता है की उसने शिवि के साथ गलत किया है तो वो उससे बात करने चला जाता है पर जब वहां वो शिवि को लकी के साथ हंसते हुए देखता है तो उसे बहुत बुरा लगता है वो अपने ख्याली शक को सच होता देख रहा होता है तभी पीछे से सुकृति आकर कहती है काफी खुश लगते है दोनो साथ में ये सुनकर वरुण सुकृति को घूरकार देखता है और कहता तुम अपना मुंह बंद रखो इतना कहकर वो वहां से चला जाता है सुकृति को इस बात से फ़र्क नही पड़ता है वो तब भी किसी ढीट की तरह मुस्कुराती है। इंजीनियरिंग के अंतिम सैमेस्टर के पेपर चल रहें होतें है ।
सभी अपने पेपर अच्छे से दे रहे होते हैं कभी कभार शिवि और वरुण कि नजर एक दूसरे पर पड जाती थी एक दूसरे को देखकर मुस्करा देते और अपना अपना पेपर करने चले जाते ।आखिरकार पेपर खत्म हो गए पर इस बार वरुण और शिवि एक बार भी एक दूसरे से अकेले में नहीं मिले ।अब लोग अपने कैम्पस को लेके एक दूसरे से बात कर रहे थे शिवि का भी बहुत मन था की वो वरुण से बात करे पर वो करती भी कैसे वरुण तो उसके पास दो मिनट भी नहीं रहता।
उसके मन में हजार सवाल थे पर जवाब किसी का भी नही था एक पल को तो उसका मन करता की वरुण का हाथ पकड़े और उसे पूछे तुम और मै अब पहले जैसे क्यों नही हैं हम दोनों में ऐसा क्या बदल गया है पर अफ़सोस वो सिर्फ सोच सकती थी कुछ कह और कर नहीं सकती थी। बिना बात किए हुए ही उसने कैंपस में आई कम्पनी के लिए इंटरव्यू दे दिया और उसका सलेक्शन भी हो गया उधर वरुण भी इत्तेफ़ाक से उसी कंपनी में हायर कर लिया गया। सुकृति किसी और कंपनी में हायर की गई और लकी किसी और कम्पनी में हायर किया गया ।शिवि चाहती थी की वो वरुण को बधाई दे पर वरुण ने उसे देखा भी नहीं और अपने दोस्तो के साथ बाते करने लगा फिर महेश ने पूछ लिया भाई तू शिवि को देख क्यों नही रहा है वरूण बोलता है छोड़ ना यार! महेश भी एक अच्छी कंपनी हायर कर लिया गया होता है महेश के समझाने पर की भाई उससे बात कर अपनी गलतफैमिया दूर कर पर पहले तो वो मना कर देता फिर इतना समझाने के बाद वो मान जाता है और शिवि को ढूंढ़ने लगता है पर जब तक वो उससे बात करता तब तक शिवि के पापा उसे लेने आ चुके थे । शिवि हॉस्टल खाली करके अब अपने शहर जा रही थी ये देख वरूण को अच्छा नहीं लग रहा था वो उसे रोकना चाहता था पर उसकी हिम्मत नहीं हुई और वो चला आया महेश ने पूछा इतनी जल्दी बात कर ली वरुण ने कहा नही वो चली गई । उसके दोस्त ने हैरानी से कहा अब क्या होगा? वरुण ने कहा पता नहीं पर जो होगा आगे देखा जायेगा ।
वरुण और महेश भी अभी घर लौट जाते है । वहां सुकृति इस बात से परेशान थी की उसे शिवि की कंपनी में सलेक्शन क्यों नहीं मिला। वक्त गुजरा सब अपने अपने काम में व्यस्त हो गए पर प्रेम तो प्रेम होता है बहुत दूर थे दोनो एक दूसरे का हाल जाने बिना पर एक दूसरे को बहुत याद करते थे एक बार को तो वरुण फोन पर कुछ लिखता और मिटा देता कभी फोन पर बात करने कि सोचता पर वो जब लकी और शिवि के बारे में सोचता तो उसका खून खौल जाता और वो फिर अपना फोन रख देता। इधर शिवि भी कहां ठीक थी वो तो घंटो वरुण और अपनी पुरानी तस्वीरों को निहारती कभी उसे सीने से लगाती और कभी कभी उन तस्वीरो से बात कर लेती। कहते है न प्रेम मत करो और अगर करो तो पूरा डूब के करो। दोनो ही एक दूसरे को देखने को बेताब है पर ये गलतफैमिया उनकी आशाओं का गला घोट देती है। पूरे एक महीने बाद दोनो के पास कम्पनी की तरफ से ऑफर लेटर आ गया ज्वाइनिंग के लिए दोनो ही अपना सामान पैक करके मुंबई आ गए। तक़दीर जिसे मिलाने की ठान ले वो उसे मिलाकर ही रहती है और ऐसा ही हुआ एक कम्पनी एक ही शहर और एक ही जगह । दोनो अब भी इस बात से अंजान है की वो दोनो एक दूसरे के पास है। रूम में शिफ्ट होने के बाद सुबह दोनो का ऑफिस में पहला दिन होता है और दोनो जैसे ही अपने अपने रूम से निकलते है तभी वरुण शिवि को देखकर मन ही मन बहुत खुश होता है और इस बार वरुण शिवि को बोलता है, हैलो! शिवि पीछे देखती है वो भी खुश होती है पर इस बार वो एक दम ठंडा भाव देती है।
दोनो जाने लगते है वरुण कुछ पूछता तो शिवि हां हूं का ही जवाब देती वरूण के मन में ये भी था की कहीं वो अब भी लकी के साथ तो नहीं है पर वो उतना पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। कंपनी में दोनो काम करते और बीच बीच में एक दो बार एक दूसरे को देख भी लेते। अपने और वरुण के बारे में शिवि काजल को बता चुकी थी तो उसका उसी ऑफिस में फोन आया और पूछा कैसा चल रहा है पहला दिन उसने बोला बहुत बढ़िया और बताती है वरुण भी यहीं है, काजल कहती है क्या बात है। पहले शिवि बात करने के लिए वरुण के पीछे भागा करती थी और अब वरुण वहीं करता है । लकी जिसका इस्तेमाल अभी तक सुकृति करती आ रही थी वही उसे अपना काम होने के बाद कोई भाव नहीं देती थी । लकी सुकृति को फ़ोन लगाता तो वो काट देती थी लेकिन अचानक उसका फ़ोन उठा लिया और उसे बूरा भला कहने लगी क्या है क्यों फोन कर रहे हो अब मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नही है कर दिया न वरुण और शी... इतना ही बोली और उसे अचानक याद आ गया की वो क्या बोल रही है इतना कहकर उसने फोन काट दिया। लेकिन अब लकी को साफ साफ सब कुछ समझ आ चुका था और उसे अपने किए पर बुरा भी लग रहा था। उसने तुरंत ही वरुण को फ़ोन किया पर उसका फ़ोन आता देख कर उसे गुस्सा आ गया और उसने काट दिया ऐसा लगातार बहुत दिनो तक चलता रहा फिर अचानक वरुण ने फ़ोन उठा लिया और बोला क्या है क्यों फोन कर रहे हो मुझे बार बार लकी ने घबराते हुए कहा शिवि उसने जैसे ही उसका नाम लिया वरुण को बहुत तेज गुस्सा आया और वो फ़ोन रखने ही वाला था कि लकी ने वरुण एक बार मेरी बात सुन ले फिर तुम मेरा फ़ोन कभी मत उठाना । वरुण रुक जाता है और उसकी बात सुनने लगता है लकी उसे सब कुछ बताता है की तुम जैसा सोच रहे हो ऐसा कुछ नहीं हैं हां ये बात सच है की मैं शिवि को पसंद करता था पर मैंने कभी उससे ये नहीं बताया ना ही उसे इस बारे में पता है वो तो मुझे एक अच्छा दोस्त समझती थी पर तुम दोनो को अलग करने की योजना सुकृति की थी उसने मेरा इस्तेमाल तुम दोनो के लिए किया भाई माफ करना कोई गलती हुई हो पर यार शिवि की कोई गलती नहीं है उसने तो हमेशा ही तुम्हे ही चाहा है मेरे साथ बैठकर भी वो तुम्हारी बातें करती थी । वरुण धक्त सा रह जाता है उसके आसूं रुकना बंद नहीं होते है उसका गला रोनौद हो जाता है ऐसा लगता जैसे वो फफक के रोना चाहता है वो लकी को कहता धन्यवाद बताने के लिए और फोन काट देता है । वो पूरा दिन और पूरी रात खुद को कोसकर गुजार देता है। उसे समझ नहीं आता कि वो शिवि से कैसे नजरे मिलाएगा क्या कहेगा कि उसने उस पर शक किया। सुबह होते ही वो ऑफिस जाता है उसे ऑफिस में शिवि दिखाई देती है जिसे आज वो बहुत दिन बाद बड़े ही प्यार से निहार रहा होता है। शायद शिवि ये महसूस कर लेती है पर जाहिर नहीं होने देती है।अचानक वरूण की नज़र शिवि के बाजू पर बैठे अर्जुन पर पड़ती है जो शिवि को निहारे जा रहा था। वरुण को बहुत ईर्षा होती है और वो जोर से बोल देता है लोगो को अपना काम करना चाहिए यहां वहां नजरे टिकाने से कुछ नहीं होने वाला। शिवि जो की वरुण को पहले से जानती है तो वो उसके घुमावदार मैसेज को सीधे समझ जाती है और वरुण को होने वाली ईर्षा को देखकर मुस्कुराई और बड़बड़ाई की प्यार आज भी उतना ही है पर नखरे तो देखो इनके इतना कहकर वो अपना काम करने लगती है ।ऑफिस खत्म होने का वक्त हो गया था सब जाने लगे तभी वरुण शिवि को साथ में जाने के लिए बोलता है शिवि पहले बहाने बनाती है फिर मान जाती है । वहां से वो उसे एक कॉफी शॉप पर ले जाता है और ख़ामोश होकर बस शिवि को निहारता है और पुरानी बातों को याद करने लगता है शिवि अपनी कॉफी खत्म कर रही होती तभी उसकी नज़र वरुण पर पड़ती है और वो कहती है वरुण क्या हुआ कोई परेशानी है क्या बहुत उदास लग रहे हो। वरुण न में सिर हिलाता है और फिर दोनो वहां से चले जाते है। वरुण शिवि को पैदल साथ चलने को बोलता है तो शिवि बोलती चलो चलते वैसे भी काफी वक्त हो गया ऐसे घूमे। शिवि और वरुण शांत होकर चलते है वरुण शिवि का हाथ पकड़ता है शिवि कुछ नहीं कहती
और उसके साथ चलती रहती है उसी वक्त वरुण उसे खींचकर गले लगा लेता
और फूट फूट कर रोने लगता हैं। शिवि उसे चुप कराती है पर उसे रोता देख वो भी रोने लगती है और लगभग आधे घंटे तक वो एक दूसरे को गले लगाकर रोते है। वरुण कहता है मुझे माफ कर दो शिवि मुझे तुमसे सब पूछ लेना चाहिए था बेवजह तुम्हारे लिए गलत सोचता रहा। मै कितना बुरा हूं शिवि उसे शांत करती है और बोलती है कोई बात नही वरुण क्यों खुद को कोस रहे हो जो होना था हो गया पर अब हम दोनो साथ है ।


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