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हमारी अधूरी कहानी
ना मैं सोना ना मैं मोती ना मैं कोहिनूर हूँ कौन थामें हाथ मेरा मैं तो इक मज़दूर हूँ खो गई पहचान मेरी जब से मैं उससे मिला आजकल मैं फरमान शायर नाम से मशहूर हूं

चाय रखी है टेबल पर इतवार पुराने ले आओ हम कहदेगे कल छुट्टी है तुम यार पुराने ले आओ

इश्क़ में उजड़ा तो ऐसे जीने लगा चाय का शौक़ीन शराब पीने लगा

लगा के इश्क़ की बाज़ी सुना है रूठ बैठे हो मोहब्ब्त मार डालेगी अभी तुम फूल जैसे हो

तुमने तो कहा था हर शाम हाल पुछेंगे तुम्हारा तुम बदल गए हो या तुम्हारे शहर में शाम नहीं होती

लौटा दो मुझे वो रात ए ख़ुदा, जब मैं बिना कुछ सोचे सो जाया करता था

लौटा दो मुझे वो रात ए ख़ुदा, जब मैं बिना कुछ सोचे सो जाया करता था

अजनबी सब अपने हुए अपनो से ही बग़ावत है अपने तो अपने होते है ये तो सिर्फ कहावत है।

मनपसंद इंसान भी
एक समय के बाद नापसंद हो जाता हैं

दिल की ख्वाहिश अधूरी हैं