रामू मोची का पुण्य
एक संत को सुबह-सुबह सपना आया। सपने में सब तीर्थों में चर्चा चल रही थी की कि इस कुंभ के मेले में सबसे अधिक किसने पुण्य अर्जित किया।
श्री प्रयागराज ने कहा कि ” सबसे अधिक पुण्य तो रामू मोची को ही मिला हैं।”
गंगा मैया ने कहाः ” लेकिन रामू मोची तो गंगा में स्नान करने ही नहीं आया था।”
देवप्रयाग जी ने कहाः ” हाँ वो यहाँ भी नहीं आया था।”
रूद्रप्रयाग ने भी बोला “हाँ इधर भी नहीं आया था।”
फिर प्रयागराज ने कहाः ” लेकिन फिर भी इस कुंभ के मेले में जो कुंभ का स्नान हैं उसमे सबसे अधिक पुण्य रामू मोची को मिला हैं।
सब तीर्थों ने प्रयागराज से पूछा
“रामू मोची किधर रहता हैं और वो क्या करता हैं?
श्री प्रयागराजजी ने कहाः “वह रामू मोची जूता की सिलाई करता हैं और केरल प्रदेश के दीवा गाँव में रहता हैं।”
इतना स्वप्न देखकर वो संत नींद से जाग गए। और मन ही मन सोचने लगे कि क्या ये भ्रांति है या फिर सत्य हैं!
सुबह प्रभात में सपना अधिकतर सच्चे ही होते हैं। इसलिए उन्ह संत ने इसकी खोजबीन करनी की सोची।
जो जीवन्मुक्त संत महापुरूष होते हैं वो निश्चय के बड़े ही पक्के होते है,
और फिर वो संत चल पड़े केरल दिशा की ओर। स्वंप्न को याद करते और किसी किसी को पूछते – पूछते वो दीवा गाँव में...
श्री प्रयागराज ने कहा कि ” सबसे अधिक पुण्य तो रामू मोची को ही मिला हैं।”
गंगा मैया ने कहाः ” लेकिन रामू मोची तो गंगा में स्नान करने ही नहीं आया था।”
देवप्रयाग जी ने कहाः ” हाँ वो यहाँ भी नहीं आया था।”
रूद्रप्रयाग ने भी बोला “हाँ इधर भी नहीं आया था।”
फिर प्रयागराज ने कहाः ” लेकिन फिर भी इस कुंभ के मेले में जो कुंभ का स्नान हैं उसमे सबसे अधिक पुण्य रामू मोची को मिला हैं।
सब तीर्थों ने प्रयागराज से पूछा
“रामू मोची किधर रहता हैं और वो क्या करता हैं?
श्री प्रयागराजजी ने कहाः “वह रामू मोची जूता की सिलाई करता हैं और केरल प्रदेश के दीवा गाँव में रहता हैं।”
इतना स्वप्न देखकर वो संत नींद से जाग गए। और मन ही मन सोचने लगे कि क्या ये भ्रांति है या फिर सत्य हैं!
सुबह प्रभात में सपना अधिकतर सच्चे ही होते हैं। इसलिए उन्ह संत ने इसकी खोजबीन करनी की सोची।
जो जीवन्मुक्त संत महापुरूष होते हैं वो निश्चय के बड़े ही पक्के होते है,
और फिर वो संत चल पड़े केरल दिशा की ओर। स्वंप्न को याद करते और किसी किसी को पूछते – पूछते वो दीवा गाँव में...