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अपने सभी राज बताना आवश्यक नहीं
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एक नगर में सुनहरा पक्षी था।वह जब भी मल करता वह सोने का बन जाता था।उस सुनहरे पक्षी का राज एक सिपाही को पता चल जाता है।
वह सुनहरे पक्षी को पिंजरे में कैद कर घर ले जाता है।जैसे ही वह पक्षी मल करता है वह सोने का बन जाता है ।
ऐसे कही दिनों तक बहुत सारा सोना सिपाही के पास जमा हो जाता है।
एक दिन सिपाही के मन में खयाल आता है कि, “मूर्ख राजा को इसके बारे में बताना जरुरी है।”अगर मूर्ख राजा को भनक पड़ गई तो मेरी बली चढ़ा देगे।
डर के कारण उसने सारी सच्चाई राजा को बता दी।राजा ने उस सुनहरे पक्षी को दरबार में पेश करने का आदेश दिया।
मूर्ख राजा के मंत्री ने कहा:-“राजा, आप व्यर्थ में इस छोटे से सिपाही के बातो में आ रहे हो।”
आप अपना कीमती समय व्यर्थ न कीजिए! हमे बहुत से महत्त्वपूर्ण कार्य करने है।
भला,अगर यह पक्षी का मल सोना में परिवर्तित होता तो पूरा नगर में सोना ही सोना होता।
मूर्ख राजा ने झट से मंत्री की बात मान ली और उस सुनहरे पक्षी को पिंजड़े से आजाद कर लिया।
सिपाही सबका मुंह ताकता ही रह गया।उसके सामने वह सुनहरा पक्षी छूमंतर हो गया।

उड़ते उड़ते पक्षी ने कहा:-
१-मैं बुद्धु था की सिपाही के सामने मल किया।
२-सिपाही बुद्धू था क्योंकि उसके मूर्ख राजा को यह बात बताई।
३-राजा बुद्धू था क्योंकि वह मंत्री के बात में आ गया।

मूर्ख राजा की कहानी से तीन शिक्षा ;
१-इस कहानी से सीख मिलती है कि हमें स्वयं की बुद्धि से निर्णय लेना चाहिए।
२-बिना विचार करके,दूसरा पर भरोसा कर निर्णय लेना उचित नही।
३-सिपाही से शिक्षा मिलती है कि कुछ राज स्वयं तक सीमित ही रखनें चाहिए।

मित्रों!आज के समय चालक होना जरुरी है।अपने सभी राज सबको बताना आवश्यक नहीं है।आपको कोई भी निर्णय लेना है तो बुद्धि से लीजिये न की डर के कारण।
@monishapathak @Jyotikhari @Ayus2663 @nand8625
© Ashish Morya