...

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पुस्तकालय
जीवन के किसी पुस्तकालय में
मुझे भी लिखा जा रहा होगा...
सुन सुन कर कई किरदारों से
आकार दिया जा रहा होगा...
कुछ फीके और कुछ गाढ़े
कुछ जीते तो कुछ हारे
सब के स्याही के रंग अलग होंगे
कई रंगो में रंगा जा रहा होगा...
किसी के जुनून के ऊपर
किसी की उत्सुकता के लिए
जीवन का एक और प्रयोग
वहाँ संचित किया जा रहा होगा...

जीवन के किसी पुस्तकालय में
मुझ को पढ़ा जा रहा होगा...
पढ़ पढ़ कर समझ समझ कर
किरदार गढ़ा जा रहा होगा...
सब को पढ़ने की जल्दी होगी
ज्यादा पढ़ने की होड़ में
किसी ने रुक कर चूम लिया होगा
कोई छोड़ बढ़ा जा रहा होगा...
कोई किसी को ढंग से पढ़े
ये भी है क्या मुमकिन भला
ना जाने पढ़ के मेरे बारे में
क्या क्या समझा जा रहा होगा...

@amazepriyanshu

कई लोग यहाँ अभी आने हैं
कई लोग यहाँ पर पुराने हैं

कुछ लोग यहाँ पर अपने हैं
कुछ लोग अभी अनजाने हैं

कुछ अपनी अक्ल बढ़ाने को
कुछ लोग मुझे भी जाने हैं

कुछ लोग अभी भी भाते हैं
कुछ नखरे और भी उठाने हैं

© प्रियांशु सिंह