सिल्क हाउस –1
पिछले दो सालो मैं यह पहली बार है जब इसके जाने के बाद मैं यहा आई हु।वो मेरी जिन्दगी थी मेरी बचपन की दोस्त रोशनी , खिड़की के कांच मैं दिव्या ने खुद के देखते हुए कहा।
तभी दरवाजा खट खटाने की आवाज दे दिव्य का ध्यान खींचा। जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो एक छोटा सा बच्चा दिव्या की टांगो से भुआ भुआ कहते हुए लिपटगया। दिव्या ने उसे गोद मैं उठाया और उसके सिर को प्यार से सहलाने लगी ।
क्या हुआ नन्हे शैतान यहाँ वहा क्यों भाग रहे हो, दिव्या ने प्यार से पूछा।
नानी आपको नीचे बुला रही सभ पार्टी मैं जाने के लिए आपका इन्तजार कर रहे है, इतना कहते ही वो दिव्या की गोद से निकल कर बाहर भाग गया।
दिव्या भी उसके पीछे पीछे चली...
तभी दरवाजा खट खटाने की आवाज दे दिव्य का ध्यान खींचा। जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो एक छोटा सा बच्चा दिव्या की टांगो से भुआ भुआ कहते हुए लिपटगया। दिव्या ने उसे गोद मैं उठाया और उसके सिर को प्यार से सहलाने लगी ।
क्या हुआ नन्हे शैतान यहाँ वहा क्यों भाग रहे हो, दिव्या ने प्यार से पूछा।
नानी आपको नीचे बुला रही सभ पार्टी मैं जाने के लिए आपका इन्तजार कर रहे है, इतना कहते ही वो दिव्या की गोद से निकल कर बाहर भाग गया।
दिव्या भी उसके पीछे पीछे चली...