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सिल्क हाउस –1
पिछले दो सालो मैं यह पहली बार है जब इसके जाने के बाद मैं यहा आई हु।वो मेरी जिन्दगी थी मेरी बचपन की दोस्त रोशनी , खिड़की के कांच मैं दिव्या ने खुद के देखते हुए कहा।

तभी दरवाजा खट खटाने की आवाज दे दिव्य का ध्यान खींचा। जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो एक छोटा सा बच्चा दिव्या की टांगो से भुआ भुआ कहते हुए लिपटगया। दिव्या ने उसे गोद मैं उठाया और उसके सिर को प्यार से सहलाने लगी ।

क्या हुआ नन्हे शैतान यहाँ वहा क्यों भाग रहे हो, दिव्या ने प्यार से पूछा।

नानी आपको नीचे बुला रही सभ पार्टी मैं जाने के लिए आपका इन्तजार कर रहे है, इतना कहते ही वो दिव्या की गोद से निकल कर बाहर भाग गया।

दिव्या भी उसके पीछे पीछे चली गई।

दो घंटे के थका देने वाले सफर के बाद वो लोग पहाड़ों के नीचे एक रिसॉर्ट मैं पहुंचे जहां आज रात को पार्टी थी। देखते ही देखते दिन भी ढल गया और रात हो गई। सभी लोग पार्टी मैं व्यस्त हो गए। मोका देखकर दिव्या भी अपना हैंडबैग और टॉर्च लेकर बाहर आ गई । वह एक तालाब के पास जाकर बैठ गई और फिर से अपनी ही सोच मैं गुम हो गई।

बचाओ! कोई बचाओ मुझे! किसी औरत के चिलाने की आवाज दिव्या के कानो मैं पड़ी।

आवाज सुनते ही दिव्या सतर्क हो गई ।उसने जल्दी से अपना बैग उठाया और वापिस रिसॉर्ट की तरफ दौड़ लगा दी ।रास्ते मैं भागती भागती वह एक औरत से टकरा गई । उस औरत ने चुपके से एक लॉकेट दिव्या के बैग से डाल दिया और वहा से भाग गई। दिव्या ने भी अपना बैग उठाया और जल्दी से रिसॉर्ट मैं वापस आ गई।

उसके कमरे मैं पहले से ही उसकी मां उसका इंतजार कर रही थी ।

यह सभ क्या है दिव्या तुम्हारे लिए ही हम सभ यहां इस पार्टी मैं आए और तुम ही पार्टी छोड़ कर बाहर चली गई आखिर कर कब तक चले गा ऐसा जिसने जाना था वो चली गई अब वो कभी वापिस नही आए गी तुम जितनी जल्दी समझ लो तुम्हारे लिए अच्छा है, यह कह कर दिव्या की मां बाहर चली गई।

मां के बाहर जाते ही दिव्या ने दरवाजा बंद कर लिया और अपने जख्मों पर दवाई लगाने लगी। दवाई लगाते समय उसका हाथ गलती से बैग मैं लग गया और बैग का सारा सामान नीचे गिर गया। सामान उठाते समय दिव्या की नजर उस लॉकेट पर पड़ी।

दिव्या ने लॉकेट को उठाया, यह कहा से आया ?? शायद मां ने रखा होगा पार्टी मैं ड्रेस के साथ पहनने के लिए , दिव्या ने मन ही मन मैं कहा और उस लॉकेट को पहन लिया ।

उसके बाद उसने अपने कमरे की लाइट बुझा दी और सो गई। उसके सोते ही वह लॉकेट चमकने लगा।

सुबह सुबह जब उसकी आंख खुली तो वह अपने घर पर थी। उसने अपने पास देखा तो वहा उसके साथ कोई और भी सो रहा था। उसने जल्दी से चादर उठाई तो वहा पर रोशनी सो रही थी।

रोशनी ! नही मैं अभी भी नींद मैं हु। उसने खोद को चांटा मारा और चुटकी काटी। नही यह सभ सच है उसने फिर अपनी कमरे के कैलेंडर मैं देखा तो दो साल पहली की तारीख थी।

दूसरी तरफ से दूरबीन से यह सभ कोई देख रहा था।

आगे जानने के लिए पढ़ते रहे "सिल्क हाउस"


© khushpreet kaur