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बंजर जमीन ✍🏻✍🏻✍🏻
बंजर जमीन

महादेव की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी थी,

अब भला भद्दर गर्मी में गेहूं की कटाई के समय बारिश होती है, पर कर भी क्या सकते हैं बुरा वक़्त हो तो सच बोलने वाले घोड़े पर भी झूठा गधा कीचड की दुल्लती मारकर चला जाता हैं 😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊

एक लम्बी चौड़ी साँस लेकर महादेव ने बची खुची फसल को समेटना सुरु कर दिया,लड़का मान्य बिटिया पारुल और पत्नी जया सब मिलकर हाथ बटाने लगीं धीरे धीरे बची खुची राशि (गांव में फसल को राशि भी कहते हैं) इकट्ठा हो गयी !

मान्य और पारुल पिता के पास आकर खड़े हो गए और बोले पिताजी चिंता मत कीजियेगा प्राइमरी स्कूल में नाम अगले साल लिखवा दीजियेगा इस बार और अच्छे से मैया तैयारी करा देंगी ताकि जब जाए हम दोनों तो आपका नाम रौशन करें, महादेव मुस्कुरा कर पत्नी की और देख कर सोचता है की बच्चे अब बड़े हो गए हैं !

पत्नी जया भी अपनी ऊँगली में बची अंगूठी देखते हुए सोच रही थी की अगर अगले साल फसल का यही हाल हुआ तो ये भी नहीं रहेगी,

पति पत्नी साथ बैठे थे पहले तो दुखी थे पर अचानक से मुस्कुरा कर बाते करने लगे और बच्चो के साथ मजे से प्याज रोटी खाने लगे और अपने काम में लग गए !

इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है, ये बुरा वक़्त तो किसान के नसीब में ऊपरवाला लिख देता है, इसलिए वो अंतर्मन से बहुत मजबूत हो जाता है, उनका असली धन और सम्पदा तो उनके दोनों बच्चे और उनका विश्वास है की अगले साल सब सही होगा, बाकि बच्चे समझदार हैं संस्कारी है आगे जाकर उनके दुःख दूर करेंगे ही करेंगे क्युकी उनमे आत्मीयता है सकारात्मक सोच है और मानवता है !

किसान की बंजर जमीन हमेसा बंजर रहेगी ऐसा कभी नहीं होगा एक दिन उनके दिए गए संस्कार और प्रेमभाव उस जमीन पर सबसे उपजाऊ उन्नति की फसल उगाएंगे

© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻