पशुता
मानव का ज़मीर ही कुछ ऐसा होता है जो उसे दानव से भी निर्दय और निर्मम बना देता है। अन्य सभी पशु भी ज़रूरत के लिए शिकार करते है , एक मानव ही है जो सब कुछ जान समझ कर भी अपनी विकृत मानसिकता को अंजाम देने के लिए अकाल्पनिक पशुता का परिचय देता है। वरना निर्भया बलात्कार कभी ना होता ,और ना उस...