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फर्क
एक गांव में दो भाई थे छोटा वाला भाई दिव्यांग था उसकी मां बड़े भाई को अच्छे स्कूल में डाला और छोटे वाले भाई को सरकारी स्कूल में डाला और मां का सपना था कि उसके दोनों बच्चे आईपीएस ऑफिसर बने लेकिन उसने छोटे वाले भाई को भी दिव्यांग देख कर उसे सरकारी स्कूल में डाल दी जैसे जैसे दोनों बड़े होते गए और छोटा वाला एक दिन अपने मां से पूछा कि मुझे भैया के स्कूल में क्यों नहीं डालती हो तू मान कुछ नहीं बोलती थी वह कक्षा दस तक उससे पढ़ाना चाहती थी लेकिन वह बोला कि मैं काम करूंगा और पढ़ लूंगा वह शहर में गया और पढ़ाई किया और फिर आईएएस की तैयारी करने लगा फिर वह आईएएस का परीक्षा दिया और वह आईएस के परीक्षा को निकाल लिया उसके द्वार पर पत्रकारों की भीड़ लगी थी जब वह घर से बाहर निकला तो पत्रकारों ने उसे घेर लिया उसमें से एक पत्रकार पूछा कि आपको आईएएस बनने की खुशी है वह बोला कि हां मुझे खुशी है लेकिन मुझसे ज्यादा खुशी मेरी मां को होगा उसका बड़ा भाई एक कंपनी में काम करता था उससे यह बात पता चली तो बहुत खुश हुआ और मां को एहसास हो गया कि हम दोनों भाइयों में फर्क नहीं करना चाहिए हमें तो इंसान में कभी फर्क नहीं करना चाहिए