बयां करती सोच
इंसान को आंखे , सबसे महत्वपूर्ण भाग । ये आंखे जितनी मासूम है उतनी ही शैतान। ये हर एक वस्तु दिखाती हे , ये हर किसी को देख पाती है ।
इसकी ताकत हे इंसान की सोच , वह सोच जिससे इंसान तय करता है कि उसे क्या देखना हैं।
ये आंखे हर किसी को देख सकती हैं पर कोई है जिसे ये देखने में भूल करती है ओर वो है विश्वास।
तुम जो सोचोगे ये आंखे वही दिखाएगी , विश्वास को ये कभी नहीं देखेगी । क्योंकि विश्वास करने का कार्य हमारा है आंखे तो सिर्फ जरिया है।
निर्भर भी ये उसी पे करता है कि हम देख क्या रहे है , अगर बुरा देखा तो बुरा हो होगा , अच्छा देखा तो अच्छा ।
#truewriter
इसकी ताकत हे इंसान की सोच , वह सोच जिससे इंसान तय करता है कि उसे क्या देखना हैं।
ये आंखे हर किसी को देख सकती हैं पर कोई है जिसे ये देखने में भूल करती है ओर वो है विश्वास।
तुम जो सोचोगे ये आंखे वही दिखाएगी , विश्वास को ये कभी नहीं देखेगी । क्योंकि विश्वास करने का कार्य हमारा है आंखे तो सिर्फ जरिया है।
निर्भर भी ये उसी पे करता है कि हम देख क्या रहे है , अगर बुरा देखा तो बुरा हो होगा , अच्छा देखा तो अच्छा ।
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