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एक बारिश भरी रात
दिल्ली, यह शहर अपने भीड़भाड़ और अराजक ट्रैफिक के लिए जाना जाता है। यहां बारिश आते ही मानो समय ठहर सा जाता है। उन दिनों मैं दिल्ली के एक हॉस्टल में रहती थी और गुरुग्राम के एक कॉर्पोरेट ऑफिस में काम करती थी। ऑफिस का माहौल हर रोज व्यस्त रहता, और उस दिन भी काम का दबाव अपने चरम पर था। रिपोर्ट तैयार करनी थी, कुछ क्लाइंट मीटिंग्स भी थीं, और इन सबके बीच समय का पता ही नहीं चला। जब मैंने घड़ी देखी तो रात के आठ बज चुके थे।

मैंने खिड़की से बाहर झांका। बाहर तेज बारिश हो रही थी। हर ओर पानी जमा था, और गाड़ियां धीमी रफ्तार से रेंग रही थीं। बारिश के साथ ठंडी हवा भी चल रही थी, जो मौसम को खूबसूरत तो बना रही थी, लेकिन हालात को और मुश्किल। मैंने ऑफिस से निकलने का फैसला किया, क्योंकि यह तो तय था कि रुकने से बात नहीं बनने वाली थी।

मुझे ऑफिस से हॉस्टल छोड़ने वाली कैब के ड्राइवर ने कहा, “मैडम, आज तो बहुत देर हो जाएगी। ट्रैफिक भयंकर है।” मैंने मन ही मन सोचा, “देर हो या जल्दी, पहुंचना तो है।” इसीलिए, मैंने तय किया कि किसी भी हाल में निकलना होगा।

दिल्ली की सड़कों पर बारिश का मतलब होता है ठप यातायात। मैंने अपनी सहकर्मियों को अलविदा कहा और कैब में बैठ गई। बारिश तेज हो...