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तेरी ख़ामोशी
कभी-कभी सोचता हूँ कि तुम इतनी ख़ामोश क्यूँ रेहती हो, फ़िर ना जाने क्यों लगता है कि तुम अपनी आँखों से कुछ कहना चाहती हो, कभी कभी सोचता कि पूछ ही लूं फिर ना जाने क्यूँ लगता है कि तुम्हारी...