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इतेफ़ाक (itefaaq)
कितना खूबसूरत शब्द है ये इतेफाक ........
इस एक शब्द ने ना जाने कितने अजनबियों को मिलवाया है
कहते हैं की जब किस्मत में मिलना लिखा होता है ना तो अंजाने से किसी रास्ते पर मिल ही जाते है दो अंजनबी। तो इसी इतेफाक पे एक कहानी है जो मुझे तुम सब को सुनानी है .... पर पूरी कहानी मुझे भी नहीं पता है कहीं सुनी थी मैंने मुझे याद नहीं पर कहाँ।

तो यह जो कहानी है ये कहानी है एक तरफ़े प्यार की, इंतज़ार की, इज़हार की, ये कहानी है इतेफाक की। यह कहानी शुरू होती है एक लड़के से, एक लड़का दीवाना सा और एक लड़की दीवानी नहीं पागल सी..... इंतज़ार ही बस किया उसने कभी इज़हार नही किया। दोस्ती करती थी लड़की और लड़का इश्क़ कर बैठा था। उस नासमझ लड़की को वो दिल दे बैठा था पर हर कहानी में इश्क़ मुकम्मल नही होता, लिखा किस्मत में हर बार साथ नही होता।
बिछड़ना था किस्मत में तो बिछड़ ही गए वो, यूँ ही फिर वक़्त बीत गया, किसी का दिल टूट गया और किसी को खबर ना चली
पर एक हादसा फिरसे होना ही था
दीदार उसका फिरसे होना ही था
अरे यार ये कहानी है इतेफाक की तो इतेफाक तो होना ही था
किसी एक मोड़ पर उनको मिलना ही था
धडनकने रुक गयी मिलके यार इश्क़ में तो ये होना ही था
पर अबकी मुलाकात में कुछ अलग ही बात थी, हल्की हल्की उसमे बरसात थी
कुछ बातें हुई, ज़ाहिर हर चाहत हुई, खत्म था इंतज़ार अब वक़्त था इज़हार का
इज़हार भी हुआ फिर इनकार भी हुआ 😢
अश्कों में फिर इश्क़ बह गया, जो था अकेला वो फिर अकेला हुआ।

याद रखना इतेफाक से बस लोग मिला करते हैं हमसफर नही 💕
© The Silent one
My diary of love ❤
#thesilentone