...

0 views

चाय और प्यार.. नहीं.. नहीं तकरार
चाय और प्यार... नहीं.. नहीं तकरार
"आज तक देवी माँ के भंडारे में ऐसा नहीं हुआ कि किसी की मन्नत नहीं आयी हो." पंडित राधेश्याम अपनी छाती चौड़ी करके अपने घर होने वाले वार्षिक भंडारे की महिमा का गुणगान कर रहे थे.
"मैं हूँ..."रामलाल ने ढीठ बनकर हाथ उठाकर कहा
"हर साल आपके यहाँ भंडारे में आता हूँ.. कभी कोई मन्नत नहीं आयी. "रामलाल भी पूरा ही लग रहा था.
" तू.. अरे जा काठ के उल्लू.. पहले ख़ुद से पूछ तेरा मन मन्नत मानने में या देवी माँ के चरणों में रहता है या भंडारे में मिलने वाले हलुओं में रमा रहता है." पंडित जी खीझकर बोले
" हाँ तो जब तक पेट भरा नहीं होगा तो मन्नत मानने में ध्यान कैसे लगेगा. पेट की मन्नत अधूरी छोड़ कर मैं अपनी मन्नत कैसे मान सकता हूँ. क्या खाना होते हुए पेट को भूखा छोड़ने पर पाप नहीं चढ़ेगा" रामलाल भी दिमाग होने के पूरे सबूत दे रहा था
"मूर्ख,, तुझसे बहस करना बेकार है. "पंडित जी समेत सभी रामलाल पर हँस रहे थे.
" नूर ये आदमी काम का लगता है क्या इसे मार्स पर ले चलें. "मेरे दोस्त ने पूछा
" हाँ इरादा तो मेरा भी यही है.. प्रतिलिपि पर कभी कभी किसी रचना की व्याख्या लिखने के लिए किसी पृथ्वीवासी की जरूरत काफी समय से चल रही थी."मैंने कहा
"रामलाल, सुनो... हम मार्स से आये हैं क्या तुम हमारे साथ वहाँ चलना चाहोगे? "मेरे दोस्त ने पूछा
"तुम कहीं से भी आओ, मुझे क्या.. तुम्हारे साथ चलने में मेरा क्या फ़ायदा है? "रामलाल तो निडर भी था.. विचलित हुए बिना आराम से बात कर रहा था
" एलियन वेलियन हो क्या?" रामलाल ने पूछा
" जी.. मैं एलियन हूँ और ये मेरा दोस्त वेलियन है प्रभु. "मैंने रामलाल के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा.
" अच्छा अच्छा.. देखने में तो तनिक भी भयावह नहीं हो.. क्या कर रहे हो पृथ्वी पे.. अगर अभी तुम दोनों को पकड़कर सरकार को सौंप दे तो हम मालामाल हो जाएँगे." रामलाल मोल भाव पर उतर आया था
" नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते हो.. ये हम भी जानते हैं.. इतने दिन से पृथ्वी पर आ रहे हैं.. अभी भी तुम्हारा बैंक अकाउंट खाली है. "मेरे दोस्त ने कहा
" हा,हा, हा, हा.. ये बताओ क्या लाख रूपये मेरे अकाउंट में
आने की चर्चा क्या मार्स पर भी थी." रामलाल जोर ज़ोर से हँसता हुआ बोला
" नहीं, ये हमें टीवी से पता चला था.. हम कुछ नहीं जानते थे.. बस मनोरंजन और नाटक देखने के लिए एक मनोरंजक टीवी चैनल खोल लेते थे.. लेकिन बहुत बाद में पता चला कि वो मनोरंजक चैनल नहीं था.
मनोरंजक टीवी चैनल तो एक ही दृश्य को पूरे सप्ताह स्लो मोशन में दिखाते थे." वेलियन ने कहा
" अच्छा.. पहले एक चाय पिलवा दो .. "रामलाल अपनी पर उतर आया था.
" चाय किस बात की.. "मैंने हैरानी से पूछा
" इतनी देर से बात कर रहे हो.. चाय पानी तो बनता है.. इतनी देर में कई भंडारे ख़त्म हो गये होंगे.. उसमें प्रसाद ना ले पाने का नुकसान तो मैंने तुम लोगों की वजह से उठाया है.. तो अब चाय पानी की भी माँग ना करूँ." रामलाल नाराज हो गया
" नहीं हम नहीं देंगे चाय पानी. ये गलत है... "मैंने कहा
" सही गलत हमें ना पढ़ाओ.. तुम्हारे मार्स की हर गतिविधि पे नज़र है हमारी.. यहाँ तक कि तुम्हारी यहाँ हवा की आवाज़ भी यूट्यूब पे आ गयी है.. "रामलाल चौड़ा होकर बोला
" अपने यहाँ के गरीबों की आवाज कब सुन पाओगे रामलाल. "वेलियन गुस्से से बोला
" तुमसे क्या मतलब इस बात का.. हमारा अमीर गरीब का आपस का मामला है. "रामलाल चिढ़कर बोला
" अच्छा.. तो हमारे मार्स में घुसपैठ क्यूँ की.. वो पैसा अपने गरीबों के कल्याण में नहीं लगा सकते थे क्या. "वेलियन बिगड़ गया
" हमारी ज़मीन पर खड़े होकर इतना गुर्रा रहे हो. "रामलाल गुस्से से बोला
" क्यूँ क्या कहीं कोई काग़ज़ है जिसपर लिखा है यहाँ एलियन्स नहीं आ सकते हैं. "मैंने गुस्से से कहा
इससे पहले की बात और ज़्यादा बढ़ती कुत्तों की टोली ने हम पर हमला कर दिया.. रामलाल अपनी जान बचाकर भाग गया और हम भी अपने यान में भाग आये.
कुछ ही देर में यान मार्स पर वापस जा रहा था.. औऱ हम यही सोच रहे थे कि मुद्दा सिर्फ़ एक जान को ज़िंदगी पूरी होने तक बाकी रखने का है.. अगर ऐसा ना होता तो हम लड़ाई छोड़कर जान बचाने के लिए नहीं भागते.
तो क्या इसके लिए इतने भेद भाव, इतने तमाशे, लूटपाट, अपराध ज़रूरी हैं?
क्या जियो और जीने दो से ये दुनिया नहीं चल सकती है?
अब ये आप सोचिए.. आगे कैसे बनकर जीना है.
फिर मिलेंगे
NOOR E ISHAL
© All Rights Reserved