...

2 views

हवेली
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा। फिर शाम होने पर चंदन हवेली गया। वह दबे पांव हवेली के बगीचे के आम के पेड़ के पास जा पहुंचा। उसने अपनी गुलेल निकाली और आम पर निशाना साधा। पर तभी उसे कोई आहट महसूस हुई जैसे मानो वहां उसके अलावा भी कोई और हो। वह सावधानी से आसपास देखने लगा। फिर उसे किसी की पायल की झंकार सुनाई दी। वह उसे और बाद तो उसने देखा की एक लड़की हाथों में किताब पकड़े उसकी ओर बढ़ रही है। वह कोई और नहीं हवेली के मालिक दिनकर राव की मंजली बेटी है। वह डर गया और आम पेड़ के पीछे छुप गया। वह लड़की उसे तरफ आई और चंदन के हाथ में गुलेल देखकर समझ गई कि वह यहां आम तोड़ने आया है। चंदन वहां से भागने लगा इससे पहले कि वह चिल्लाकर हवेली के सभी लोगों को बुला ले। मगर वह लड़की चिल्लाकर बोली - सुनो मुझे भी कुछ आम तोड़ कर दे सकते हो? यह सुनकर चंदन को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ, वह रुक गया और बोला - जी..जी आपने क्या बोला?
वह लड़की बोली मेरा नाम वैष्णवी है। मैं इसी हवेली में रहती हूं मगर मैं कभी इस पेड़ के आम नहीं खाए तुम अपनी गुलेल से आम तोड़कर मुझे दे सकते हो? चंदन डरते डरते बोला-जी...जी आप...आप जैसा बोलेंगी मैं वैसा ही करूंगा। वैष्णवी बोली- तुम जल्दी से आम तोड़ो मैं नजर रखती हूं कहीं कोई आ तो नहीं रहा। चंदन की हाथों से गुलेल मानो चल ही नहीं रही थी।उसे अभी यकीन नहीं हो रहा था की हवेली की छोटी मालकिन उसे आम तोड़ने के लिए कह रही है। पर फिर उसने जल्दी-जल्दी आम तोड़े और सारे आम लाकर वैष्णवी को दे दिया और कहा आप किसी से कुछ मत कहिएगा। मैं यहां से चुपचाप चला जाऊंगा और फिर कभी नहीं आऊंगा।आप किसी को कुछ मत बताइएगा ।मैं सच कह रहा हूं मैंने कोई चोरी नहीं की। वैष्णवी मुस्कुराही और बोली-इतने सारे आम में कैसे खाऊंगी? और मेहनत करके तो तुमने आम तोड़े हैं तो आधे आम तुम रख लो और आधे मैं रख लेती हूं और हां अब से आते रहना यहां मुझे आप बहुत पसंद है। आओगे ना?? चंदन बोला- जी आप जैसा चाहे वैसा ही होगा। इतना कहकर वह वहां से भाग गया और वैष्णवी उसको देखकर मुस्कुराती रही। चंदन को घर जाकर नींद नहीं आ रही थी। उसके दिमाग में बस वैष्णवी की कही बातें ही गूंज रही थी। वह सोच में पड़ गया मुझे फिर हवेली जाना चाहिए या नहीं??
© Tejas