...

25 views

जिंदगी के इस सफर में अपना क्या पराया क्या..…
अपना क्या पराया क्या,
यहां तो हर एक सख्श दर्द देता है
दया क्या और दुआ क्या ,
वक्त हर जख्म भर देता है,
जीते है जिसे अपना कह कह कर,
वो पल भर में पराया कर देता है ,
दिल में बसी उन तमाम यादों को ,
उसका एक शब्द जाया कर देता है,
जीया जाएं तो कैसे इस दुनियां में
जब कोई अपना किनारा कर लेता है ....
मंजिल की ओर बढ़े राही को ,
भटकता बेसहारा कर देता है .....
टूटी हुई उम्मीदों को वो और बिखरा देता है
हाथ बढ़े हो जिसकी तरफ,
कदम अपने वही समेट लेता है.....
सांसे जब थम जाती है ,
तो एक मेला सा लग जाता है ....
लोग खड़े होते है उस सोए बन्दे के लिए
जो ताउम्र जागा अकेले होता है,
यहीं दुनियां का दस्तूर होता है,
जिंदगी के इस सफर में अकेले आएं है
और अकेले ही जाना होता है ......
फिर भी हमें हर रिश्ता निभाना पड़ता है
@kanchan Tripathi