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ज्ञान की संतुष्टि
एक बार भगवान बुद्ध से उनके शिष्य आनंद ने पूछा, भगवान जब आप प्रवचन देते हैं तो सुनने वाले नीचे बैठते हैं, ऐसा क्यों?
भगवान बुद्ध बोले, यह बताओ कि पानी झरने के ऊपर खड़े होकर पिया जाता है या नीचे जाकर?
आनंद ने उत्तर दिया,“ झरने का पानी ऊंचाई से गिरता है। अतः उसके नीचे जाकर ही पानी पिया जा सकता है।
भगवान बुद्ध ने कहा कि तो फिर यदि प्यासे को संतुष्ट करना है तो झरने को ऊंचाई से ही बहना होगा।

आनंद ने "हाँ" उत्तर दिया।
यह सुनकर भगवान बुद्ध बोले, आनंद! ठीक इसी तरह यदि तुम्हें किसी से कुछ पाना है तो स्वयं को नीचे लाकर ही प्राप्त कर सकते हो और तुम्हें देने के लिए दाता को भी ऊपर खड़े होना होगा। यदि तुम समर्पण के लिए तैयार हो तो तुम एक ऐसे सागर में बदल जाओगे। जो ज्ञान की सभी सभी धाराओं को अपने में समेट लेता है। भगवान बुद्ध ने फिर कहा कि इतिहास गवाह है कि वही लेने वाला सबसे ज्यादा फायदे में रहता है, जो पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ पाना चाहता है जबकि अविश्वास के साथ पाने की इच्छा रखने वाला हमेशा स्वयं को रिक्त ही महसूस करता है !

शिक्षा -:

कुछ पाने के लिए विनम्रता और सहजता होना सबसे जरूरी है। यह गुण इंसान को श्रेष्ठ से सर्वश्रेष्ठ बनाता है।