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एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त में स्त्री परिचय ।।
एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त यह कहती है कि किसी का कोई परिचय है ही नहीं ना जिस्म का पूजन करने वाले गीदड़ का कोई अस्तित्व है और ना ही सुवरी जात की योनियों का जो कि स्त्री का परिचय प्राप्त की है।। क्योंकि एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में गीदड़ की योनि पाया पुरुष वसनालोग में धुत हो कर स्त्री सुवरी जात का भोग लगाकर संभोग तपस्या में लीन होकर चूत, योनि, वीर्य और मल-मूत्र जैसी श्रुतिया प्राप्त कर चुका है तो उसे और उसकी लन्ड भोग लगाकर संभोग करने वाली सुवरी जात को किसी अस्तित्व की आवश्यकता नहीं है।। श्रृष्टि में स्त्री पुरुष भेदभाव होने के बाद भी पुरुष के द्वारा कन्या की चूत और योनि को भंग कर उसका रस प्रात कर उसकी मरियादा और पवित्रता को खंडित करना वर्जित है।। इसलिए इस कलियुग में श्रीकृष्ण भी बाध्य है।। स्त्री और पुरुष के पाप और अपराध एक की है जो कि इस गाथा को पूर्ण बहुमत ना मिल पाने का मुख्य कारण है।।
#अल्पमूल।।
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