...

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एक ख्याल...❤️
सुनो
दूर तुमसे होने का ख़्याल ही मुझे डरता है... एक तुम हो जो पास आते नहीं...
तुम्हारी तपिश का एहसास में दूर से ही करती हूं,
दूर हूं तुमसे पर मैं तुम्हारी हर परेशानी समझती हूं !
सुनो ... !
एक बार इज़ाजत दे दो मैं तुम्हें छू कर तुम्हारे दर्द बांट लूं , अपने स्पर्श से मैं फिर तुम्हें संभाल लूं ...
अकेले कमरे में दिल घबराता है दे दोे न इजाज़त , वहीं पास बिस्तर के बैठ मैं हर रात तुम्हारे पास गुजार लूं !
यकीन मानों मैं दूर ही रहूंगी तुम जब सो जाओगे तो वहीं पर दो पल मैं भी सो जाऊंगी ... पास तुम्हारे,
बहती नदी के दो किनारे बन दूर-दूर रहा जाता नहीं,
एक बार तो वन समन्दर खुद में मिल जाने दो...
सुनो न!
दे दो इजाज़त कि मैं वहीं पास बैठ जाऊं सिरहाने, नहीं तो पैरों तने बैठ तेरे हर दर्द को बाट लूं,
बिना तुम्हारी आवाज़ के मेरे मौन का भी कुछ अस्तित्व नहीं,
एक बार अपनी चुप्पी तोड़ मेरे मौन को अर्थ दे दो ...
क्यों नहीं देते मुझे इजाज़त तुम्हारे पास आने की,
ईश्वर ये कैसी लाचारी है,
पास होकर भी मानो मीलों की दूरी है ...विश्वास है मुझे कि तुम्हें कुछ नहीं होगा, पर ये दिल है कि जिद़ पर अड़ा है धैर्य छूट रहा है!
दर्द दिल का बढ़ रहा है...
उफ्फ ! ये कैसी लाचारी है ... !
सुनो ...
मैं तुम्हारी हर बात का उल्लघंन कर जाऊंगी, जानती हूं होंगे तुम मुझ पर बेहद नाराज़ पर मैं तुम्हें हर हाल में मानाऊंगी…
यूं पल-पल अब मरा जाता नहीं ...
देखेंगे जो होगा, यूं अब तुमसे दूर रहा जाता नहीं ...
कर रही हूं मैं इंतजार तुम्हारी हां का
दे दो न मुझे इजाज़त तुम्हारे पास आने की !!

~P.s